सच्चे रिश्ते वो होते हैं जो आपकी लड़ाई को
अपना बनाकर आपके लिए लड़ जाते हैं।
जीत-हार, वो तो बाद की बात है।
जो आपके लिए लड़ता हुआ हार ही क्यों ना जाए।
उस रिश्ते को कभी हारने मत देना।
लड़ाई जीतें या हारें, रिश्ता नहीं हारना चाहिए।
और हो सकता है, साथ मिलकर लड़ने से आप जीत भी जाए।।-
जीवन फीका सा था साथी के बिना मेरे लिए।
मधु सी मिठास लेकर आई हो तुम, जीवनसाथी मेरे लिए।
सात फेरों से जुड़ा ये बंधन, सात जन्मों से बढ़कर है मेरे लिए।
चाहता हूँ चांद तारे तोड़ लाऊ तेरे लिए।
पर छोटी छोटी जरूरतें पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है मेरे लिए।
और बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान कर देती हो तुम मेरे लिए।
जो कुछ थोड़े बहुत रुपए बचाकर, कभी अच्छे पल खरीदने चाहे भी मैंने तेरे लिए।
तो बुरे वक्त में काम आएंगे कहकर, कभी बुरा वक्त आने नहीं दिया तूने मेरे लिए।
समय पर खाना न मिले तो समय काटना मुश्किल हो जाता है मेरे लिए।
पर जाने कैसे पूरा पूरा दिन भूखी रह जाती हो तुम मेरे लिए।
जहां सब कुछ न्योछावर कर बैठी हो तुम मेरे लिए।
इसका अंदाजा लगा पाना ही मुश्किल सा है मेरे लिए।
मिलती होंगी हूरें जन्नत में जमाने भर के लिए।
तुम ज़मीं पर खुदा बन चली आई हो मेरे लिए।-
ग़लतफ़हमियाँ कुछ यूं घर कर गईं हैं, मेरे घर में।
की मेरे लिए जगह नहीं रह गई, मेरे ही घर में।
अब सिर्फ ग़लतफ़हमियाँ ही रहती हैं, मेरे घर में।
और मैं खुद बेघर हो चला हूँ, अपने ही घर से।।-
जिसे कहना था, वो बदजुबान,
बेफिक्र कहकर सो गया।
जिसने दिल पर लिया,
वो भावुक होकर रोता रह गया।।-
बुरा वक्त भी कमाल होता है,
राय लेने वाले, ज्ञान देने लगते हैं।
सलाह मांगने वाले, नसीहत देने लगते हैं।
रास्ता पूछने वाले, रास्ता दिखाने लगते हैं।
उंगली पकड़ने वाले, गला पकड़ने लगते हैं।
और जी जी करने वाले, तू तू करने लगते हैं।।-
घाव गहरा था पर दिखता न था।
दुःख से भरा हृदय दुखता न था।
गर्दिश में था पर झुकता न था।
दीन था बड़ा फिर भी बिकता न था।
सच्चाई छुपाई गई, अफवाह उड़ाई गई।
बात कुछ और थी, बातें बनाई गई।
बिना किसी बात के, बातें सुनाई गई।
कहना चाहा पर कोई सुनता न था।
मौन हो गया फिर, कुछ कहता न था।
चुपचाप अंधेरे में खो गया कहीं,
फिर कभी ना वापस आने को।
जाने वाला चला गया, अब कुछ न हो सकता था।
चले जाने के बाद अकसर कहते हैं लोग-
"मुझसे तो कह सकता था"।।-
तब तक ही दिये को हवाओं से बचाते हैं लोग।
जब तक न आए बिजली, सिरजाते हैं लोग।
बिजली आते ही, फूंक मारकर बुझाते हैं लोग।
रिश्तों को भी कुछ यूं ही निभाते हैं लोग।
अपना ही अतीत भूल जाते हैं लोग।
हालात बदलते ही, बदल जाते हैं लोग।।-
खुद को जलाकर लोगों को रास्ता दिखाओ अगर।
फिर भी लोग कहेंगे रोशनी थोड़ी कम है मगर।।-
न साथ चाहिए किसी का,
और न उम्मीद ही है किसी से।
न सफाई देनी है किसी को,
और न जवाब चाहिए किसी से।
किसी को कोई हिदायत भी नहीं है।
किसी से कोई शिकायत भी नहीं है।
अब किसी से कुछ कहना ही नहीं है।
पर चुपचाप सहना भी नहीं है।
मुझे अब यहां रहना ही नहीं है।
झूठ के पैर भी नहीं हैं,
और बोलने वाला कोई गैर भी नहीं है।
मेरा तो किसी से बैर भी नहीं है।
सबके बाद जब अपना भला चाहा,
सब एक सुर में बोले, " तुझसे बुरा कोई और नहीं है"।।-
मेरे होने पर, मेरे होने का एहसास नहीं हो पाता है, की मैं क्या हूँ।
मेरे ना होने पर, मेरे ना होने का एहसास हो ही जाता है, की मैं क्या था।।
मैं हूँ तो एहसास नहीं है, एहसास होगा तो मैं नहीं रहूंगा।
मेरा होना ना होना निर्भर नहीं करता, एहसास के होने ना होने पर।
एहसास का होना ना होना निर्भर करता है, मेरे होने ना होने पर।।
जब खुश ना थे मेरे होने पर, तो गम ना करें मुझे खोने पर।
मैं रहूँ या ना रहूँ, मेरा एहसास रहेगा, हर ज़र्रे पर, हर कोने पर।।-