Deeksha Sandesh Deriya   (Deeksha Deriya 'क्यारा' 🦋)
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Joined 26 May 2017


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Joined 26 May 2017
21 OCT 2018 AT 19:37

तो आखिर नवरात्रा फ़िर एक नए सुख की उम्मीद के साथ समाप्त हो गए।
नवरात्रों में लोगों ने सभी नौ देवियों को पूजा;
और उसी तरह नौ देवियों का रूप मानी जाने वाली अपने घर की स्त्री
अपनी माँ, बहन, पत्नी और अपनी बेटी
उनको भी बहुत आदर और सम्मान दिया,
फिर कन्याभोजन के साथ नौ देवियों को विदा किया।
और फिर विजयादश्मी पर लोगों ने बुराई पर
अच्छाई का प्रतीक मानकर रावण का दहन भी किया।
पर क्या सच में, रावण दहन करने के बाद बुराई हार ही जाती है ?
क्या सच में, अच्छाई की एक नई शुरुआत हो जाती है?
नही!
मुझे तो नहीं लगता।
क्योंकि इन नौ दिन के पहले जो गालियाँ और
जो बेइज्जती घर की स्त्री को दी जा रही थी
वो इन नौ दिनों के बाद फिर शुरू ही गयी।
फ़िर लोगो ने उसी तरह अपनी माँ, बहन, पत्नी और बेटी को
किसी न किसी तरह अपमानित करना शुरू कर दिया।
काश की नवरात्र नौ दिन के नहीं, 365 दिन के होते,
या फिर काश की लोग सच में नौ देवियों को अपने घर की स्त्री
और बाक़ी सभी स्त्रियों में भी देख पाते।

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29 JUN 2021 AT 14:14

प्रेम में होने का एक नुकसान यह भी है
आप उम्मीद टूटने का दुःख नहीं मना सकते।

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13 APR 2021 AT 2:43

आज मैंने अपने घर का हर कोना देखा और उन्हे हर एक याद के साथ महसूस किया। इस घर के हर एक कोने हर एक दीवार से मुझे कई किस्से याद आए। और बस उन यादों में खुद को सिमटा हुआ पाया। लग रहा था कि काश मैं इन यादों को फिर से जी पाती। फिर से बचपन में जा पाती। पर यह सब अब मुमकिन नहीं है।

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8 APR 2021 AT 16:14

एक इंसान का प्रेम,
किसी भी टूटे हुए व्यक्ति
को जोड़ सकता है
और उसके दिल के
घाव को भर सकता है

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20 DEC 2020 AT 13:45

कुछ लोग
चले जाते हैं,
उनकी यादें
रह जाती हैं;
उन का दिल
मिट जाता है,
पर
दिल की
शिकायतें
रह जाती हैं।

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14 SEP 2020 AT 23:38

इश्क़ के आसमान का रंग गुलाबी से और गहरा हो गया;
जो इश्क़ अधूरा सा था आज वो मिलकर पूरा हो गया।

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8 SEP 2020 AT 14:05

पिता की चप्पल जब बेटे के पैर में आने लगे तो,
मान लिया जाता है कि बेटा अपने पिता की
जिम्मदारियां बांटने लायक हो गया है।
पर अगर
पिता की चप्पल बेटी के पैर में आ जाए तो,
क्या यह नहीं माना जा सकता कि
अब एक बेटी भी अपने पिता की
जिम्मेदारियां बांटने लायक हो गई है?

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6 SEP 2020 AT 16:40

तेरा आना;
मेरे दिल का संवर जाना।

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6 SEP 2020 AT 13:03

प्रेम तब तक प्रेम रहता है,
जब प्रेम में दूर होकर भी नज़दिकियां बढ़ जाए;
और प्रेम तब प्रेम नहीं रह पाता,
जब प्रेम में नज़दीक होकर भी दूरियां नज़र आए!

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1 AUG 2020 AT 21:44

एक उम्मीद थी कभी ना टूटने की, जो अब टूटती जा रही है
एक उम्मीद थी कुछ अधूरा ना छूटने की, जो अब छूटती जा रही है
सुना था दुनिया कायम है तो सिर्फ उम्मीदों पर;
पर लगता है कि अब ये दुनिया ही लुटती जा रही है।

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