Decent   (Dr.Supreet G Singh)
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Joined 19 February 2018


Joined 19 February 2018
10 HOURS AGO

छोड़ कर नहीं जाते अपनों को
खफा हो जाएं वो तो मना लेते हैं
गलती हमसे ही हुई होगी ज़रूर
ये समझ कर ख़ुद को सज़ा दे देते हैं
रूठना उनका कम नहीं फौत्गी से
अपने लहू का हर कतरा बहा देंगे
उनकी रुसवाई नहीं बरदाश्त हम को
वो हुए दूर तो अपनी हस्ती अपने हाथों मिटा देंगे

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26 APR AT 22:15

बताते हैं बहुत पर वो समझते नहीं
जो समझते तो यूं करते नहीं
अपने दर्द को यूं छुपाया करते नहीं
बात होती कितनी भी लेकिन यूं हस के दरकिनार करते नहीं
समझ बैठे हैं वो मेरी मोहब्बत को सीमित
पर उनके लिए हमारी मोहब्बत की सीमा नहीं
हैं थोड़े मसरूफ हम
पर अपनी जान के लिए बेपरवाह तो बिल्कुल नहीं

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26 APR AT 22:03

ये परी है यां है अप्सरा
किसी को पता चले तो ज़रा बता दो यारा
मासूमियत से भरी है
दिल में प्रेम की खुशबू मोहब्बत के साथ रची है
खूबी सब है बस दिखावा नहीं है
इसमें जैसे ख़ुद ही बैठा है जीवन देने वाला
मरते को भी छू ले तो प्राण फूंक दे ऐसी है ये बाला
ना कोई लोभ ना कोई ईशा की ज्वाला
स्नेह से सराबोर है ये मधुबाला

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25 APR AT 23:04

ये जीवन आब-ए-रवाँ है
मिल जाएगा उसमे जिसने जीवन दिया है
ये पानी, ये मिट्टी, ये जलते अंगारे, ये हवा के धारे
बना है जिस से उसी से ख़ुद को बचाते
काटे ये ज़िन्दगी अपनी बनाई चीज़ों के सहारे
लेता है नाम खुदा का गिन गिन के तस्बी के सहारे
होता है खुश दूसरे बुतों को दिखा के
नहीं जाने खुद को ना जाने खुदाई
ना जाने उसको जिसने कायनात बनाई
कर के ज़िन्दगी ज़ाया मिलता उन्ही में
जिनसे बचने को महल हैं बनाए

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25 APR AT 14:09

संभाला था दिल को सिर्फ़ तुम्हारे लिए दुनियां की नज़रों से बचा
अब सजा लो अपने प्यार की अंगूठी में नगीने की तरह

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25 APR AT 11:41

भी अजीब हैं
कैसे ले आती ये इतने करीब हैं
सोचा ना था कभी यूं मिल जाओगे
मिलते मिलते यूं हमसफ़र बन जाओगे
जुड़ गए हो साथ ऐसे दिया और बाती जैसे
आता नहीं सुकून जब पल भी दूर हो जाते हो
गुफ्तगू के बहाने ही सही करीब नज़र आते हो
माना अभी थोड़ी दूरी है दर्मियां
मगर ये फांसला नहीं हमेशां का
कुछ दिन का है बीत जायेगा
हमारे मिलन का दिन भी जल्द ही आयेगा

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24 APR AT 13:02

इन आंखों को इल्म नहीं है कि कितनी दिलनशी हैं
इस मुस्कान को पता नहीं कि कितने फ़िदा हैं इस पे
ये जो खुली किताब सी दिखती है
ज़रा पढ़ कर तो देख लो कोई
हर सफे पे कुछ टूटे हुए कलम से बिखरी स्याही में लिपटे लफ़्ज़ हैं
समझो उसके मौज़ू को तो लग जायेगा पता
कुछ बातें अनकही ही रहें तो अच्छा है

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23 APR AT 15:49

दिल करता है तेरी आंखों में डूब जाऊं
इनमें नशा बहुत है कहीं शराबी ना हो जाऊं

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22 APR AT 19:58

फ़क़त मैं नहीं कोई भी फ़िदा हो जाएगा
इस सादगी का कोई भी कायल हो जाएगा
क्यों ना होगा किसी को प्यार इस पाक शक्सियत से
कौन इस परी को देख मंत्रमुग्ध हुए बिना रह पाएगा
खासियत ही इतनी हैं
गिनते गिनते ही दिल प्यार में डूब जाएगा

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22 APR AT 19:55

इस सादगी के पीछे क्या है
सिर्फ़ तुमको पता है
यां रब जानता है
खिले चहरे पे मुस्कान का गुल जो खिला है
उसके पीछे दिल का गुलिस्तां स्नेह से भरा है
झलक पाने को तुम्हारी आंखें टिकी हैं
दरवाज़े पर हर दस्तक देती तेरे आने का गुमाँ है

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