ये जीवन आब-ए-रवाँ है
मिल जाएगा उसमे जिसने जीवन दिया है
ये पानी, ये मिट्टी, ये जलते अंगारे, ये हवा के धारे
बना है जिस से उसी से ख़ुद को बचाते
काटे ये ज़िन्दगी अपनी बनाई चीज़ों के सहारे
लेता है नाम खुदा का गिन गिन के तस्बी के सहारे
होता है खुश दूसरे बुतों को दिखा के
नहीं जाने खुद को ना जाने खुदाई
ना जाने उसको जिसने कायनात बनाई
कर के ज़िन्दगी ज़ाया मिलता उन्ही में
जिनसे बचने को महल हैं बनाए
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