किसी के सवालों का जवाब था मैं,
एक दौर था, जब ख्वाब था मैं,
मैं भी किसी के ख्वाबों में,
कुछ इस कदर था छिपा हुआ,
जैसे वो चकोर था मेरा,
उसका चांद था मैं... #kabira-
कुछ खोकर नया नहीं लगता,
कोई ठोकर नया नहीं लगता,
बस गहरी हैं तन्हाइयां,
बस चारों तरफ परछाइयां,
चुप होकर नया नहीं लगता,
कुछ खोकर नया नहीं लगता... #kabira-
सब कुछ समझ कर भी नासमझ से रह गये,
हम उन्हीं के थे,
फिर भी अकेले रह गये...-
कुछ तरकीब बताओ,
बयां करना है दर्द को,
दर्द अब अच्छा लगता है,
नया करना है दर्द को...-
बस बंदगी का साथ है,
हालत मेरी इक राज है,
ना पूछता है कोई ,
ना मैं बोलता किसी को हूं,
तड़प रहा अंदर से मैं,
मेरी जिंदगी ही नाराज़ है...-
वक्त से पहले कई हादसों से लड़ा हूं मैं,
मैं दिखता कम हूं,
मगर अपनी उम्र से बड़ा हूं मै...-
कभी ख्वाबों को सुनता हूं,
कभी खुद की सुनाता हूं,
जब यादें आंखों में आती हैं,
तो सब कुछ भुल जाता हूं...-
मेरी राह भी वही हो,
मेरी चाह भी वही हो,
अब कितनी भी मुश्किल हो जाये,
अब आह भी वही हो,
हमराह भी वही हो,
अब कितनी भी मुश्किल हो जाये,
मेरा दिल बस सही हो...-
मैं ही था मुश्कील,
था जहां आसान,
क्या किसी को परखूं,
था जब खुद से ही अन्जान...-