राह ए वफ़ा पे क्या चले,,
दुश्मन ज़माना हो गया
दिल ने कहां अब फ़िक्र क्यूं,,
जब खुदा ही यारा हो गया-
मैं बिखर जाऊँगी ज़ंजीर की कड़ियों की तरह
और रह जाएगी इस दश्त में झंकार मिरी
राह ए वफ़ा पे क्या चले,,
दुश्मन ज़माना हो गया
दिल ने कहां अब फ़िक्र क्यूं,,
जब खुदा ही यारा हो गया-
सीले सीले ख्वाब ये मेरे ,,बरसों से बेचैन पड़े
मेरी आंखों की चौखट पर, बेचारे ये मौन खड़े-
जाने किस डर से तेरे आगे सिर झुकाते हैं लोग..
तू है पत्थर ,,, फिर क्यों खुदा बुलाते हैं लोग...
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मेरे चेहरे पर ,,उसके चेहरे का अक्स लिया
ऐ आइना,,कुछ ऐसे मेरी आंखों की प्यास बुझां-
जलाकर ख़ाक कर देंगी,,रोशनी हमको
कोई तो राह दिखाएं,,,हमें अंधेरों की
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दिखावे का दस्तूंर ,,निभाती है ये दुनिया
दिल मिले ना मिले, हाथ मिलाती हैं ये दुनिया-
नकली चेहरे ,नकली आँखें,
नकली ये मुस्कान हैं!!
रंग बिरंगे चेहरे पहने
देखो हम इंसान हैं!!
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दगा नहीं किया कभी,,,पर ज़िन्दगी दाग़ बन गई
मेरे हिस्से की हंसी सारी,,गुनाहों की राख बन गई-
इक क़िस्सा पुराना,,
इक हिस्सा पुराना,,
कहीं छूट गया जो,,
मेरे जैसा पुराना।।-