डॉ विवेक सिंह   (बैरागी)
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Joined 1 January 2017


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कुछ टूट गया
या भीतर शून्य है
स्वर समता से बजते हुए
शांत अँधेरी रात
डाउनलाइट के नीचे
भयानक चुप्पी को तोड़ती
वन मक्खियों की बड़बड़ाहट
कितना स्थिर
कितना खाली
कोई इच्छा नहीं
कोई विचार नहीं
कोई डर नहीं
केवल
मैं और मेरे
सभ्य कागजी शब्द हैं
शोक संतप्त
शून्य हृदय
आंखों की भीगी परिधि
मन स्तब्ध
तन में भीषण ज्वर लिए
हृदय के गलियारे में आयोजित
मैं और एकांत
बैठ गए
उस शहीद की चौखट पर
मन के व्यूह भेदने को
युद्धरत...अनवरत....

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मन आकुल है
और दिल विरोध कर रहा है
ठहराव और बदलाव के बीच
इस पल में
हम कैसे तरस रहे हैं?
और तोल मोल रहे हैं
दूर के सपनों को
एक सांझ में समेटने को
उम्मीद की छाया के भीतर
मन के बिंब
दो कदमों की दूरी नाप रहे हैं....

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एक जरा
हथेली के स्पर्श से तुम्हारे
चल पडूंगा विशेष की ओर
अज्ञात अनुत्तरित प्रश्न सा...

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तुम्हारे साथ
जीवन और समय के बीच
छोटे युद्ध और बड़े झगड़े
मैं इन सीढ़ियाँ को चढ़ता हूँ
ऊपर और ऊपर
क्रमशः आखिर तक
मुझे और कुछ नहीं तलाशना है
मैं तुम्हारे साथ उड़ता हूँ
और इतना हल्का महसूस करता हूँ
कि जिंदगी गुजर जाए
और
एक जिद्दी डी.एन.ए. के रूप में
संयोजित
मैं हैंगिंग स्टार बन जाऊं....

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उसका टूटा हुआ प्रभामंडल
स्थिर सुस्त सोने की चमक
उसकी प्रेतवाधित आँखें
एक बहुरूपदर्शक हैं
उस सब की जो उसने देखा था
मैं उसके आंसुओं में
क्षति का स्वाद ले सकता हूँ
इतिहास के आँगन के पार
उसकी त्वचा पर प्राचीन आलेख की तरह
थकावट लिखी है...
जिसे मैं छू सकता हूँ
उन तमाम कविताओं की तरह
जिनमें अक्सर एक दृष्टि
गर्म हवा-सी चलती है
एक व्यथा
यात्रा बन जाती है...यात्रा...
जो उसने दिन के अंधेरों में तय की
और दूसरे छोर पर बैठा हुआ मैं
दोषमुक्त होकर
उलझी हुई लिखावट को अनुवादित कर
सवालों के जवाब खोजता हूँ
एक नई कविता रचता हूँ...

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निःशब्द रात में
जाने कितने शातिर शब्द निकलते हैं
बहरूपिया बन
भावों का जामा ओढ़े
दिलों के अपहरण को...

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फिर सूर्य उगेगा
पूरब से पश्चिम तक चलेगा
तब कहीं चाँद दिखेगा...

शुभ दिन। चलते रहो...

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चलो एक साथ खो जाएं
वर्षावन की खोज में
एक शांत जगह खोजें
जहां सिर्फ हम दोनों
उदात्त सांत्वना की तलाश करें
प्रकृति की कोमलता में
और एक दूसरे की बाहों में
हमारे जुनून के
शांत समन्वय में धूप सेकें
आत्म सहसंयोजन
स्वर्ग में लिप्त
हमारे उमस भरे प्रेमालिंगन के लिए....

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एक डायरी
खोई हुई खुशबू को जानती है
इसके पृष्ठों के बीच
एक गुलाब
सभी अधोगतिओं की बुकमार्किंग कर रहा है
यह जानता है
कि बारिश की एक भाषा है
और जिसे उसने अपने जन्म से ही समझा है....

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मेरी आत्मा
एक युद्ध क्षेत्र है
छिपे हुए अस्त्र शस्त्रों के साथ
विस्फोटकों से दूर जाना चाहता हूँ
इससे पहले कि मुझे एहसास हो
मैंने आज फिर एक एहसास मारा...

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