बिटिया अनन्या संग दामाद सत्यम जी पधारे म्हारे अंगना।
उनके संग में पाया हमने आनन्द सुकून अलहदा का झरना।।
पांच-दिवसीय अल्प निवास में उन संग गुलाबी नगरी में किया भ्रमण।
पोस्ट वैडिंग शूटिंग प्लान कर खुशियों ने हमारे जीवन में किया अतिक्रमण।।-
जो बोया था हमने कल, आज तो है वही काटना।
निस्वार्थ सेवा में, अपने को सब संग बस यूं ही बांटना।।
हर परिस्थिति में ध्येय था, बस सच्चाई का सूत ही है कातना।
फोर्टिस ने पहचाना योगदान डा रोहित का, बेला थी उसकी 18वी स्थापना।।-
जिसमें ममत्व की गूंज और स्नेह पुंज, जिससे पाया अस्तित्व अपना।
जिसके दिए संस्कारों के बल, हमने साकार किया हर इक सपना।।
मां के उपकारों को सराहने हेतु हम धरती मां में रोपते आज दिल अपना।
पिंक सिटी ज़ीका का मंत्र "Plant a Plant for Ma & Aunt" ही जपना।।-
मेरी और अधिकांश भारतीयों की रूह में बसा हुआ वो शख़्स।
जो मेरी नज़रों के सामने आया, तो बस दिल से निकला ही नहीं।।
आंखों को गुलाब जल सी लगी वो योगी जी की गुलाबी भगवा छवि।
उनसे मिलने के बाद सत्य सात्विक सरल सहज सादगी की देखी लिबास में छवी।।-
संतों की अमृतवाणी में निहित है सत्य, ज्ञान और उत्थान।
अर्थ समझें और आत्मसात करें तो कम नहीं, ये है वरदान।।
परशुराम जी समान अतुलनीय अवधेशाचार्य जी का संरक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त हमें।
परशुराम मार्ग, परशुराम उदधान और परशुराम चौराहे का अवश्य उपहार मिलेगा हमें।
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जो करता है आपसे, किसी के भी पीछे, उसकी बुराई।
वह अवश्य ही करता होगा आपके पीछे आप ही की बुराई।।
कारण है की ऐसे व्यक्ति कि आदत है करना लगाई बुझाई।
ऐसा नकारात्मक व्यक्त्तित्व सबमें सिर्फ देखता है बुराई।।
जलता सबसे किन्तु स्वयं को समझता है सर्वश्रेष्ठ और पाना चाहता है ऊंचाई।
ऐसे व्यक्ति का संग त्यागो नहीं तो तुड़वा देगा वो हर रिश्ते को चाहे उनमें हो कितनी गहराई।।
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विष्णु जी के छठे अमर अवतार परशुराम जी के जन्मोत्सव की पावन बेला है आई।
अगर हो सच्चे ब्राह्मण,तो परशुरामजी की महाआरती में अवश्य सम्मिलित होना है भाई।।
समय प्रातः साढ़े नौं बजे 29 अप्रैल 2025 को सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर में मिलेंगे रघुराई।
पीले, केसरिया जो भी रंग के हों स्वच्छ साफ परिधान, स्नान ध्यान पश्चात पहन पहुंचे श्रीमान और माई।।-
ज्वालामुखी से विशाल नैनों में धध्के है अग्नि सी ज्वाला।
बलिष्ट भुजाओं में शोभित है गांडीव,फरसा और भाला।।
पिता की आज्ञा पर पृथ्वी को 21 बार क्षत्रिय-विहीन कर डाला।
बल, बुद्धि,तेज की इस त्रिवेणी को,शिव ने भी बना शिष्य पहनाईं माला।।
सामाजिक न्याय, समानता और एकता के लिए उठाया था परशुराम जी ने परशु और भाला।
29/04/2025 परशुराम जी के जन्मोत्सव पर हम विप्र समाज एकीकृत हो पहनाएं परशुरामजी की मूर्ति को पुष्प माला।।
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रोज़ाना तीन सौ से ज्यादा अपनों से होती है नैन-नैन में भेंट।
वौटसैप मिटाता कलयुग में, दूरी, अ-समवाद, बिना हुए लेट।।-
हम जिसकी इज्जत करते हैं।
वह हमें मजबूर समझते हैं।।
हम जिससे बहुत प्यार करते हैं।
वही हमें बेवकूफ समझते हैं।।-