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मोहब्बत के नाम का कारोबार बिकता गया ;
इश्क की आड़ में जिस्म का बाजार बिकता गया,
जब ना मिल सका कुछ बेच कर भी तमाम ;
तो धीरे-धीरे सब का आजार बिकता गया,
जिसके कदमों से जमीं भी पाकीज़ा होती थी ;
उसकी आबरू का यहां इश्तेहार बिकता गया,
जिन गुनाहों पर कभी परदे दारी रहती थी,
उन सभी का हर रोज अखबार बिकता गया ।।-
गर कफन है मोहब्बत तो कब का मर चुका हूँ मै,
दर्द ना बता इस राह के उनसे गुजर चुका हूँ मै।-
आईने के सामने रहकर अक्स का पता नही पूछते,
जिस मुजरिम की दुनिया कायल हो उसका गुनाह नही पूछते।।-
सबको अपने किरदारों ने मशरूफ कर दिया,
तेरे हिज्र ने मुझे जिन्दगी से मेहरूम कर दिया।
उसके दीवानों की फेहरिसत में नाम इतने थे, कि
लोगो ने मुझे तेरे नाम से शहर में मशहूर कर दिया ।-
गर इश्क़ दर्द है तो ये तबिबो का भी शहर है,ना
सिर्फ मेरे मेहबूब का,ये मेरे रक़िबो का भी शहर है।-
दिल वो बेअदब जो मोहब्बत करने के बहाने मांगे,
कोई ना कर सके ऐसे इश्क़ के अफसाने मांगे,
हर एक मोहब्बत का अंजाम महज़ फ़क़त है यहाँ,
और ये दुनिया है की मोहब्बत के और दीवाने मांगे।-
यहाँ कोई अपना कोई पराया नही है;
कौन है यहाँ जो जिंदगी का सताया नहीं है,
सभी अपने जज़्बातों के घायल बैठे है;
कौन है इस महफिल मे जो चोट खाया नही है,
हर शक्स कभी गम की चौखट पर बैठा है;
कौन है जो अश्कों का हिसाब लगाया नही है,
किसके दर्द की यहाँ पर्दा दारी है;
कौन है महफिल मे जो जख्म दिखाया नही है।-
फक़त आँखों से निकलना नही काफी है, ऐ गम,
तुझे अभी दिल के पार भी होना बाकी है।-