Dawn   (Radha)
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Joined 9 January 2018


Joined 9 January 2018
15 JAN AT 13:14

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26 SEP 2022 AT 19:39

मोहब्बत के नाम का कारोबार बिकता गया ;
इश्क की आड़ में जिस्म का बाजार बिकता गया,

जब ना मिल सका कुछ बेच कर भी तमाम ;
तो धीरे-धीरे सब का आजार बिकता गया,

जिसके कदमों से जमीं भी पाकीज़ा होती थी ;
उसकी आबरू का यहां इश्तेहार बिकता गया,

जिन गुनाहों पर कभी परदे दारी रहती थी,
उन सभी का हर रोज अखबार बिकता गया ।।

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14 JUL 2022 AT 21:51

गर कफन है मोहब्बत तो कब का मर चुका हूँ मै,
दर्द ना बता इस राह के उनसे गुजर चुका हूँ मै।

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2 JUL 2022 AT 22:39

आईने के सामने रहकर अक्स का पता नही पूछते,
जिस मुजरिम की दुनिया कायल हो उसका गुनाह नही पूछते।।

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29 JUN 2022 AT 21:13

सबको अपने किरदारों ने मशरूफ कर दिया,
तेरे हिज्र ने मुझे जिन्दगी से मेहरूम कर दिया।

उसके दीवानों की फेहरिसत में नाम इतने थे, कि
लोगो ने मुझे तेरे नाम से शहर में मशहूर कर दिया ।

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8 MAY 2022 AT 21:18

गर इश्क़ दर्द है तो ये तबिबो का भी शहर है,ना
सिर्फ मेरे मेहबूब का,ये मेरे रक़िबो का भी शहर है।

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9 APR 2022 AT 21:09

दिल वो बेअदब जो मोहब्बत करने के बहाने मांगे,
कोई ना कर सके ऐसे इश्क़ के अफसाने मांगे,

हर एक मोहब्बत का अंजाम महज़ फ़क़त है यहाँ,
और ये दुनिया है की मोहब्बत के और दीवाने मांगे।

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6 APR 2022 AT 14:58

अब इन्सान इन्सान नही केवल अंक और प्रतिशत है।

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19 MAR 2022 AT 19:50

यहाँ कोई अपना कोई पराया नही है;
कौन है यहाँ जो जिंदगी का सताया नहीं है,

सभी अपने जज़्बातों के घायल बैठे है;
कौन है इस महफिल मे जो चोट खाया नही है,

हर शक्स कभी गम की चौखट पर बैठा है;
कौन है जो अश्कों का हिसाब लगाया नही है,

किसके दर्द की यहाँ पर्दा दारी है;
कौन है महफिल मे जो जख्म दिखाया नही है।

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9 MAR 2022 AT 11:27

फक़त आँखों से निकलना नही काफी है, ऐ गम,
तुझे अभी दिल के पार भी होना बाकी है।

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