एक राज हैं ,
एक साज हैं ।-
कोई प्रीत के गायन में ,
बहाड़ो के गुँजन में ,
चंचल चितवन में ,
मेरे छोटे आँगन में ,
प्रभात भर आया हैं ,
आओ रोशनी तुम भी आओ ।
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वो रौशनी से नहाए मुझको क्या ,
मै जुगनू बनके मानो कितना ख़ुश था ।-
प्रिय शुभचिंतक ,
अंतर्मन बड़ा व्यथित है एकांकी जीवन है ,
बहुत जीता पर पाया कुछ नहीं ,
स्त्री का स्नेह मिला ,
पर अपनत्व नही ,
स्त्री की दयालुता मिली ,
पर साथ नही ,
दोस्त बुद्धिजीवी निकले ,
स्वार्थी ,
हतशाए हाथ आई ,
पर गर्व है प्रिय मेने जिसपे भरोशा किया
दिल खोल के किया ,
तुम्हे पाने की चाह थी
मगर तुम्हारा भरोशा भी न जीत पाए ,
काश उस दिन तुम मिलने आ जाती ,
मेरी सारी हारे मुझे un follow कर देती ,
औऱ जीत जीवन भर रहती ,
प्रिय शुभचिंतक ।
एक नई शुरुआत में हमेशा करता रहूँगा ,
किसी रोज किसी संग में अनन्त आकाश के नीचे ,
किसी गोंद में लेटा तारे निहार रहा होऊंगा ,
उस दिन तुम कहो तो में झूठ कहता हूं ,
तुम याद आओगी ,
हा उस दिन तुम मिलने आओगी ,
अरे हा में तुम्हारी ही गोद मे होऊंगा ,
एक दफ़ा चुम लेना ,
हा में स्वर्ग में होऊंगा ,
प्रिय शुभचिंतक ,
अलविंदा बोल ,
यह मत बोल we meet again ...-
जब भी भी हल्की बारिश होती है ,
मौसम में रवानी होती है ,
मुझे जाने क्यों तुम याद आये ।-
लोग बिच्छू से जाने क्यों डरते है ,
हमने कई साँपो औऱ सपेलो को दूध डाला हैं ।-