Das Anshul Tiwari   (Das Anshul Tiwari)
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Joined 29 May 2021


Joined 29 May 2021
24 APR 2022 AT 14:11

➡️ नोट :- संत गरीबदास जी का दृष्टिकोण रहा है कि वाणी में सभी भाषाओं का समावेश किया जाए ताकि पृथ्वी के सब मानव तत्वज्ञान से परीचित हो सकें। इस वाणी में दीदार शब्द के साथ दर्शन शब्द भी लिखा है। दोनों का अर्थ एक ही है 'देखना', दोहे में लिखा है दीदार दर्शन , यह पद्य भाग है। इसमें कोष्ठ (Baract) का प्रयोग नहीं होता। यदि गद्य भाग में कहानी की तरह लिखते समय दीदार (दर्शन) लिख सकते हैं। इससे दीदार का अर्थ 'दर्शन' है, स्पष्ट हो जाता है। 'दीदार' शब्द उर्दू भाषा का है और 'दर्शन' शब्द हिन्दी भाषा का। इसी प्रकार 'अजब' शब्द उर्दू भाषा का है जिसका अर्थ है अनोखा और 'अनूप' शब्द हिन्दी भाषा का है जिसका अर्थ भी अनोखा होता है।(12)

🙇🏽‍♂️ सत साहेब 🙇🏽‍♂️

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24 APR 2022 AT 14:09

🙏🏽 सतगुरुदेव की जय 🙏🏽

🙇🏽‍♂️ बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙇🏽‍♂️
🍁 वाणी :-
है निरसिंघ अबंध अबिगत, कोटि बैकण्ठ नखरूप है।
अपरंपार दीदार दर्शन, ऐसा अजब अनूप है।।(12)

➡️ सरलार्थ :- परमात्मा सीमा रहित, बंधन रहित है जिसकी गति को कोई नहीं जानता (अविगत है)। उसके नाखून समान स्थान पर करोड़ों स्वर्ग स्थापित हैं। भावार्थ है कि परमात्मा की अध्यात्मिक शक्ति जिसे निराकार शक्ति कहते हैं, इतनी विशाल तथा शक्तियुक्त है कि उसके अंश मात्र पर करोड़ों स्वर्ग स्थापित हैं। जैसे सत्य लोक (सतलोक) में जितने भी ब्रह्माण्ड हैं, वे सर्व स्वर्ग हैं अर्थात् सुखदायी स्थान है। स्वर्ग नाम सुखमय स्थान का है। काल लोक के स्वर्ग की तुलना में सत्यलोक का स्वर्ग असंख्य गुणा अच्छा है। वह परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् सत्यपुरूष अपरमपार है। उसकी लीला का कोई वार-पार अर्थात् सीमा नहीं है। उसका दीदार करने से (देखने से) पता चलता है कि वह ऐसा अजब (अनोखा) अर्थात् अनूप है।

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23 APR 2022 AT 7:32

Dheere Dheere se Meri Aadat Ho
Jayegi Toh Pyaar Dikhana.
Tu Bus Pyaar Dikhana.

A. K. T ✍

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17 APR 2022 AT 8:24

🙏🏽 सतगुरुदेव की जय 🙏🏽
🙇🏽‍♂️ बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙇🏽‍♂️
🍁 वाणी :-
स्वर्ग सात असमान पर, भटकत है मन मूढ।
खालिक तो खोया नहीं, इसी महल में ढूंढ़(14)

➡️ सरलार्थ :- संतो के लिए सर्व धर्म तथा देश के व्यक्ति अपने जैसे होते हैं, वे मानव मात्र के कल्याण के लिए ही उपदेश किया करते हैं। इस वाणी सँख्या 14 में संत गरीबदास जी ने विशेषकर मुसलमान धर्म को मानने वालों को समझाया है। उनका मानना है कि अल्लाह (परमात्मा) ऊपर सातवें आसमान पर है तो आप पृथ्वी पर कभी मक्का, कभी मदीना, कभी किसी पीर की मजार पर क्यों भटक रहे हो? परमात्मा कहीं गुम नहीं हुआ है, यदि उसको खोजना चाहता है तो मानव शरीर रूपी महल (मकान) में ढूँढ़ (खोज), सत्य साधना करके उस परमेश्वर को प्राप्त कर।(14) {शब्दार्थ = खालिक का अर्थ है परमात्मा}

🙇🏽‍♂️ सत साहेब 🙇🏽‍♂️

Kabir is God

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17 APR 2022 AT 8:23

🙏🏽 सतगुरुदेव की जय 🙏🏽
🙇🏽‍♂️ बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙇🏽‍♂️
🍁 वाणी :-
स्वर्ग सात असमान पर, भटकत है मन मूढ।
खालिक तो खोया नहीं, इसी महल में ढूंढ़(14)

➡️ सरलार्थ :- संतो के लिए सर्व धर्म तथा देश के व्यक्ति अपने जैसे होते हैं, वे मानव मात्र के कल्याण के लिए ही उपदेश किया करते हैं। इस वाणी सँख्या 14 में संत गरीबदास जी ने विशेषकर मुसलमान धर्म को मानने वालों को समझाया है। उनका मानना है कि अल्लाह (परमात्मा) ऊपर सातवें आसमान पर है तो आप पृथ्वी पर कभी मक्का, कभी मदीना, कभी किसी पीर की मजार पर क्यों भटक रहे हो? परमात्मा कहीं गुम नहीं हुआ है, यदि उसको खोजना चाहता है तो मानव शरीर रूपी महल (मकान) में ढूँढ़ (खोज), सत्य साधना करके उस परमेश्वर को प्राप्त कर।(14) {शब्दार्थ = खालिक का अर्थ है परमात्मा}

🙇🏽‍♂️ सत साहेब 🙇🏽‍♂️

Kabir is God

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12 APR 2022 AT 20:00

हमने गुरु जी को भगवान बता दिया
तो बुरा क्या है,
भटक रहे थे दुनिया में अकेले
उन्होंने थोड़ा सहारा दे दिया
तो बुरा क्या है,
खाने के थे लाले गरीबी ने थे पाले
थोड़ी माया देदी
तो बुरा क्या है,
शरीर था रोगों व निराशा से दुखी
गुरु जी ने थोड़ा दुखो को मिटा दिया
तो बुरा क्या है,
पाखण्ड करते करते गुजर गई पीढियां
गुरु जी ने तत्वज्ञान बता दिया
तो बुरा क्या है
बाकिफ नही थे हम तो खुद से
गुरु जी ने सतलोक दिखा दिया
तो बुरा क्या है
बताने वाले बता देते है पत्थर को खुदा
हमने गुरु जी को भगवान बता दिया
तो बुरा क्या है।

A. K. T ✍

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9 APR 2022 AT 22:55

I want someone in my life.

A. K. T ✍

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7 APR 2022 AT 21:01

Neki ki rahon pe tu chal
rabba rahega tere sang
woh toh hai tere dil mein haan
tu kyon baahar use dhundhta......

A. K. T ✍

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4 APR 2022 AT 21:16

➡️ एक व्यक्ति केले बेचता था, वह दिनभर बोलता था कि ले लो 10 के 12 केले, ले लो 10 के 12 केले। रात्रि में भी कई बार जोर से आवाज लगाता, कहता कि ले लो 10 के 12 केले, ले लो 10 के 12 केले।

➡️ ऐसे ही एक किसान बाजरे की फसल की पक्षियों से रखवाली करता था। वह दिनभर कहता रहता था, हर्र चिड़िया........। कई बार सोते समय भी इसी प्रकार ऊँची आवाज में बोलता था। कारण यह है कि दिनभर किया अभ्यास ही स्वपन बनकर रात्रि में दिखता है। इसी प्रकार स्वपन में वही भक्त राम नाम का उच्चारण करेगा जो दिनभर परमात्मा का नाम जाप करता है। वह भक्त परमात्मा का प्रिय होता ही है। इसलिए परमेश्वर कबीर जी ने हम साधकों को संकेत दिया है कि भक्ति नर्धुंध करो अर्थात् भक्ति का तूफान उठा दो, अधिक से अधिक भक्ति करो।
उस भक्त के लिए मैं (परमेश्वर) अनहोनी कर दूंगा।

🙇🏽‍♂️ सत साहेब 🙇🏽‍♂️

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4 APR 2022 AT 21:12

🙏🏽 सतगुरुदेव की जय 🙏🏽

🙇🏽‍♂️ बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙇🏽‍♂
🍁 वाणी :-
कबीर, स्वपन में बर्राय के, जो कोई कहे राम।
वाके पग की पांवड़ी, मेरे तन को चाम।।

➡️ सरलार्थ :- परमेश्वर कबीर जी ने भक्ति करने वाले मानव को कितना महान बताया है तथा उसका कितना सम्मान किया है, कहा कि यदि कोई मानव स्वपन में बरड़ाय (बड़बड़ा) कर भी परमात्मा के नाम का जाप कर देता है, वह मुझे इतना प्रिय है कि उसके पाँव की जूती अपने शरीर के चाम से बनवा दूं। कई व्यक्ति सोते समय स्वपन देखते हैं तो उस समय दृश्य को सोते-सोते बोलते हैं जो अस्पष्ट भाषा होती है, उसको बरड़ाना कहते हैं कि अमूक व्यक्ति सोते समय बरड़ाता है। स्वपन में वही दृश्य दिखाई देते हैं जो दिन में देखे होते हैं।

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