Darshan Bharatbhai   (DarshaN AmiN "साहेब")
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जिदंगी ए सफर
Joined 24 July 2019


जिदंगी ए सफर
Joined 24 July 2019
10 DEC 2023 AT 9:22

एक मंज़िल थी मेरी
पर उसके रास्ते थे अनेक
कुछ मंज़िल की ओर चल दिए
कुछ चल दिए फ़ासले की और
मैं ढूँढता रह गया मंज़िल को
हर रास्ते के चौराहे पर
पूछा हर किसी इंसान व
माँगा उस खुदा से
तब जाके मिला उस मंज़िल को
पर जब मिला में उस मंज़िल को
वो भी क्या मिला की
वो मंज़िल भी एक फ़ासला निकली….!

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24 NOV 2023 AT 23:21

ख़याल अच्छा है खुद को मनाने का
हर बारी, हर वख्त़, हर जगह
जब कभी भी कोई मन का ना होई…!
ख़याल से याद आया की मन करता है की वो
उड़े उस मस्त गगन में जैसे बादल हो कोई
बरस भी जाए और तरस भी जाए
इस कदर जैसे बुनबुना ख़्वाब हो कोई…!
मन निकले उस मस्त गगन में जहां
बरसों से न मिला और गया हो कोई
आसमां के पार चाँद सितारों के पास…!
खुद से ही खुद के सवाल और जवाब
जो मचा रहे बवाल मन में वो थम जाएँ
उस मस्त गगन की हवा में कहीं…!
उठ रहे ही जो मन की अनकहीं-अनसुनी
कहानीयां व रंजिशें, रुक जाए कहीं
पथ्थर की लकीर बनकर जैसे
ख़याल का ख़याल हो कोई…!
फिर भी ख़याल अच्छा है कि खुद को मनाने का…!

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5 NOV 2023 AT 14:29

खुद से ही
खुद की शिकायत बहोत है…

हर किसी को
ख़ुश रखने की आदत बहोत है…

पर फिर भी
किसी ना किसी का दिल दुखाता बहोत है…

हर किसी को
हँसाने की चाहत बहोत है…

पर फिर भी
किसी ना किसी को रुलाता बहोत है…

हर किसी को
मुश्किल से उजागर करने की राहत बहोत हैं…

पर फिर भी
किसी ना किसी मुश्किलमें डालता बहोत है…

खुद से ही
खुद की शिकायत बहोत है…

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28 OCT 2023 AT 20:51

मध्धम मध्धम ये चलता है दिन
जाने कैसे ये ढलता है दिन…
किसी से बातों में
किसी की यादों में
ऐसे वैसे सँभलता है दिन…
ठहरता नहीं ये मचलता नहीं
पर फिर भी ये चलता है दिन…
ख़्वाबों तले रोशन उजालों से
चहकता महकता है दिन…
मुश्किल रास्तों से गुज़रकर कैसे
मंज़िल को मिलता है दिन…
मध्धम मध्धम ये चलता है दिन
जाने कैसे ये ढलता है दिन…!

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28 OCT 2023 AT 20:32

मध्धम मध्धम ये चलता है दिन
जाने कैसे ये ढलता है दिन…
किसी से बातों में
किसी की यादों में
ऐसे वैसे सँभलता है दिन…
ठहरता नहीं ये मचलता नहीं
पर फिर भी ये चलता है दिन…
ख़्वाबों तले रोशन उजालों से
चहकता महकता है दिन…
मुश्किल रास्तों से गुज़रकर कैसे
मंज़िल को मिलता है दिन…
मध्धम मध्धम ये चलता है दिन
जाने कैसे ये ढलता है दिन…!

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21 OCT 2023 AT 16:28

ज़रूरी है…

ज़िंदगी की ज़िंदगानी ज़रूरी है
हँसना भी ज़रूरी है
रोना भी ज़रूरी है…
ख़ुश होना भी ज़रूरी है
दुःखी होना भी ज़रूरी है…
प्यार भी ज़रूरी है
ददँ भी ज़रूरी है…
रुठना भी ज़रूरी है
मनाना भी ज़रूरी है…
कुछ पाना भी ज़रूरी है
कुछ खोना भी ज़रूरी है…
सरल होना भी ज़रूरी है
कठिन होना भी ज़रूरी है…
पाप भी ज़रूरी है
पुण्य भी ज़रूरी है…
ज़िंदगी की ज़िंदगानी के लिए सबकुछ ज़रूरी है…!

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14 SEP 2023 AT 12:19

સમય સમયની વાત છે
કોણ , કોનું , કેટલું છે
એ તો સમય જ જાણે છે…

વાત જાણે બે ઘડીક વિસામાંની છે
બાકી બધાને સુવાનું છે
લાંબી નીંદરમાં…પણ
ત્યાં સુધી કોણ રહે છે સાથે
એ તો સમય જ જાણે છે…

જગતમાં હોય છે સંબંધ
પોતાના ને પારકા…પણ
કોણ નિભાવે છે
એ તો સમય જ જાણે છે…

સંબંધ તો હોય છે
લાખો - હજારો… પણ
દુઃખ સુઃખમાં કોણ સાથ આપે છે
એ તો સમય જ જાણે છે…

હોય છે લાગણી અને
પ્રેમનો દરિયો બધામાં…પણ
કોણ જતાવે છે
એ તો સમય જ જાણે છે…

સમય સમયની વાત છે
કોણ , કોનું , કેટલું છે
એ તો સમય જ જાણે છે…!

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9 JUL 2023 AT 17:23

ये दिल भी कितना पागल है
जो हैं ही नहीं तक़दीर में
उसके लिए भागे जा रहा है…।

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4 NOV 2022 AT 22:03

OPEN અને CLOSE બંને વિરોધી શબ્દ છે,
પણ મજાની વાત એ છે કે ,
આપણું મન OPEN એની પાસે થાય છે જે આપણું બહુ જ CLOSE હોય છે..!!

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4 NOV 2022 AT 21:55

कुछ तो बात है दिल की…
यें आरज़ू मीटति नहीं…

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