#Alfaaz
मैं और मेरे शब्दों से बेचैनी हो तो माफ कर ,
जरा अपना और अपने वादों का हिसाब कर,
दौलत भी लुटा देंगे पहले जरा खुद का इलाज कर,
तेरी वकालत में हर गुनाह को थोड़ा तू तयार कर,
एक नही बेहिसाब मंजर का तू पहले विचार कर,
मैं देदूहगा सफाई तेरे सामने तू भी थोड़ा इजहार कर,
सही गलत की धुंध में तू जीत जा इतना सा काम कर,
ना समझ सोच ले मुझे और खुद को तू समझदार कर,
मैं वक्त सा चला जाएगा तू खुद को घड़ी सा साकार कर,
मेरी बस उमर बीती तू खुद को लजब कर ,
मौत बस आने को है तू उस दिन इस इंतजार कर,
तब तक अपने हर के गुनाह को फिर से तू याद गार कर ।।।-
Co-author in 3 books
# Mn ki Vy... read more
#Alfaaz
लौट आओ मेरी आंखो में जरा जान बाकी है ,
तेरी बेवफाई के किस्से सुनने थे ,
मेरी चीता अभी जल रही है ,
अस्तियो का शांत होना अभी बाकी है ।।
इस जिस्म से रूह तो चली गई ,
हाडियो ने भी अपनी राख बना ली ,
जो लाए थे फूल मेरे जनाजे पर ,
उनकी मेहक अभी मेरे राख में जरा बाकी है ।।
मैंने कमल को रोक रखा था,
एक हिसाब को दिल पे ठोक रहा था ,
सासें तेज होने लगी थी ,
जब मेरी आंखे जलने लगी थी ,
उठ के आ जाए तेरे पास ,
दिल की हर टूटती लहू की बूंद बोल रही थी,
मैंने माना कर दिया खुद को तेरे तस्वीर की फिर
झूठी हसी दिखने लगी थी ।
तुम मूढ़ के जाने लगी थी ,
दिल ने फिर अखरी बार आवाज लगाई,
मेरी मौत का तुम तमाशा बना लेना,
इस जिस्म की नुमाइश अभी बाकी है।।।
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#Alfaaz
मैं फिर जीने को तयार नही ,
मोहब्बत से मोहब्बत को हारना सीखा दोगी ।।।
लिख तो लेंगे तेरे जस्बातो को अपने लफ्जो में ,
तेरी मोहब्बत को अपने अल्फाजो में,
मगर कोई रहा तो दिखा ।
फिर तेरी तस्वीर नजर आए ऐसे किसी मंजर से तो मिला ।।
मेरी कलम सुख गई तेरे दर्द को लिखते लिखते ,
तेरे वजूद को जीते जीते ,
कई सावन बीत गए तेरे इंतजार में ,
आखों ने मानो बस खुद को बंद कर लिया तेरे झूठे सच को देखते देखते ,
जा जरा सी मौत मांग ला ,
मैं तक गया इस सच को और जीते जीते ।।
लिखने से दर्द कम नही होता ,
पढ़ने से ये सुकून नही खोता,
रूह मेरी चिला रही है ,
क्या इस बेचनी से तुम मौत मांगोगी ,
मैं फिर जीने को तयार नही ,
मोहब्बत से मोहब्बत को हारना सीखा दोगी ।।।
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#Alfaaz
कुछ इस तरह टूटे हुए हैं,
मानो अब कभी जुड़ भी नही सकते ।
मोहब्बत की क्या बात करते हो जनाब ,
हम तो अपनो से रूठे हैं।।
किस दरवाजे की दस्तक करे अब ,
हम तो हर मंजर पर लूटे हैं।
कोई रास्ता हो गर मौत का ,
बता देना मेरा पता ,
हम बस अब मौत के इंतजार में इस गहरी नींद से उठे हैं ।।-
#Alfaaz
क्या सच क्या झूठ हर बात करने आए है ।
इस दुनिया में एक भेद मिटाने आए है ।
तुम गलत समझ लेना हमे हम इस गलती को दोहराने आए है ।
एक इतिहास लिखा है जीवन के उसक इतिहास को लिखने आए है ।
बातो की इस काल्पनिक दुनिया में एक दुनिया बनाने आए है ।
हर झूठ से परे सच बोल कर नए दोस्त बनाने आए है ।
हम जैसे है वैसे हैं बस यही है बताने आए है ।।-
ना जाने किसी टूटे लम्हे को याद किया ये दिल ,
आज बरसो से सूखे आखों को भीगो दिया ।
मै तो अपने हिस्से की मौत पर रोया भी नही था ठीक से ,
आज तुमने उसे मिला के फिर बेदर्दी से रुला दिया ।
मेरे दर्द को लब्जो में बया करना मुश्किल था ,
आज तूने बड़ी खूबी से फिर एक बार लिखा दिया ।।
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मेरे टूटने के बाद तुम सब याद रखना ।
जो लम्हा साथ बिताए थे तुम उसमे मुझे याद रखना।
मेरी यादों में खुद का हिसाब करना तुम याद रखना।
मै एक परछाई सा तेरे साथ हु बस इन बातो को तुम याद रखना ।
कुछ हिस्से खाली आज भी है ,
मेरी रूह तेरी तड़प में उस कबर में आज भी है,
सपनो की एक किताब का पन्ना हु तुम मेरी किताब का नाम याद रखना ।।
इस खामोशी में मर कर भी तेरी बातो में मुझे हमेशा याद रखना ।
कई हिस्सों में टूटने के बाद जलाया गया हु,
मेरी खबर का पता ना चले इसलिए जलने के बाद दफनाया गया हु ,
तुम अपनी जिंदगी के आगे बड़ जाना बस मेरे हिस्सा का ये आंत तुम याद रखना ।।
दिल में बस एक नाम लेकर इस जहां से जाने के बाद, मेरी तस्वीर को भूल कर मेरे बाद बस अपनी यादों को याद रखना ।।-
#Alfaaz
कुछ किस्सों का हिसाब कर लो ,
बेनाम मोहोब्बत है तोड़ी खैर कर लो ।।
दामन में कही दाग देखे है इसने ,
तुम उन दागो को बेअसर करके देख लो ।
माना गलती तो हुई है ,
अब उस गलती का अनजान देख लो ।
तुम कहते रहो जो कहना है तुमको,
फिर मेरा एक मकाम देख लो ।।
हमने कई मेहखानो से राफ्ता किया है ,
आज फिर एक बार मेरे हाथो में उनके नाम का जाम देख लो।।
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Alfaaz
बेजुबा इश्क
वो बैठे मेरे करीब इतना कि धड़कनों ने उनसे बाते कर ली ।
नज़रे चुराया करते थे हमसे लब्जो ने हामी भर ली ।
खुदा खद उसे मेरे पास भेजता रहा कम्बक्त पलको ने उनसे मेरी शिकायत कर ली ।
मनाते भी कैसे उन्हें ,
तन्हा जीने देते भी कैसे उन्हें ,
उनकी खुशी के लिए मैंने खुद से ही चुप्पी सी भर ली ।
वरना तो इस दिल ने उन्हें देखते ही मोहब्ब्त थी कर ली ।।-
#Alfaaz
कुछ ख्वाब मै लिखता हूं ,
बेहिसाब मै लिखता हूं,
तू खुद को संभाल ,
मंजिल से गिरकर इतिहास मै लिखता हूं ,
वजूद मेरा जिंदा है,
हुनर मेरा परिंदा है ,
तेरी खूबी से खुद की किताब मै लिखता हूं ,
गिर गिर कर सीखा है ,
हौसलों में मेरा चेहरा ज़रा तीखा है ,
शब्दो की दुनिया में बेहिसाब मै बिकता हूं ,
रोटी का टुकड़ा है ,
गरीब यहां भूखा है ,
तेरी नजर में मै कैदी सा जिंदा हूं ,
इतिहास मेरा है ,
भूगोल सनेरा है ,
आज सबकी बातो में एक निशा मै रखता हूं ।।
आज सबको बताना है ,
एक किस्सा फिर सुनना है ,
तुम हिसाब ना लगाना उस हद तक मै लिखता हूं,
बाजार में निकलो हर मूड पर मै बिकता हूं ।।
क्या करू आज कल हर रोज मै लिखता हूं ।।
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