नहीं आता मुझको प्यार जताना फिर भी कोशिश करता हूँ,
अपने टूटे फूटे शब्दों से मैं फिर भी एक प्रयास करता हूँ,
अपनी चाहत के रंगों से मैं आज तेरा श्रृंगार करु,
मेरे प्यार की सुर्खी से तेरे कपोलों को लाल करू,
तेरे लबों की नमी को अपने लबो से तर करु,
तेरे गेसुओं की लटों को अपने कर पोर से ठीक करू,
तेरे आँखों की शोखी में काजल रात की श्याह भरु,
तेरे मुखड़े की ओजस आभा को अपने हाथों से छाव करु,
बन झुमके तेरे कानों के मैं नित्य प्रेम गीत सुनाऊँगा,
तेरी नथनी बन नाक की मैं दुनिया में इतराउंगा,
तेरी बिंदिया चमके मेरी प्रीत से हीरा भी शरमा जाये,
बन इत्र प्यार मेरा तेरा अंग अंग महका जाये,
बने मेरे शब्द तेरा लिबास जो तेरा अभिमान बने,
तेरी सेहत पर बुरा असर आ के पहले मुझ पर वार करे,
नहीं पता मुझको अब भी कैसे मैं इजहार करु,
अपनी वफ़ा का तेरे समक्ष कैसे मैं विस्वास धरु,
पसन्द आये जो ये प्रयास मेरा बस इतना तुम कर देना,
अपने दीदार में तुम पलकें झुका एक इशारा कर देना,
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