वो जो ख्वाब थे मेरे ज़हन में,
ना मैं कह सका,ना मैं लिख सका ।।
के जुबाॅ मिली तो कटी हुई-
जो कलम मिला तो बिका हुआ।।-
Danish शेख़
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Ek naye safar ki taraf ...
Joined 9 August 2019
18 MAY 2022 AT 16:27
22 MAR 2022 AT 15:05
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर,
'सफर'- सफर है मेरा इतंज़ार मत करना।।
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24 FEB 2022 AT 21:28
जो ज़रा-सी पी के बहक गया
उसे 'मय-क़दे' से निकाल दो।
यहाँ कम नज़र का गुज़र नहीं
यहाँ 'अहले-ज़र्फ' का काम है।।-
17 FEB 2022 AT 16:15
जहाँ तक मुझसे मतलब है 'जहाॅ' को
वहीं तक मुझको पूछा जा रहा है।
ज़माने पर भरोसा करने वालो,
'भरोसे' का ज़माना जा रहा है।।-
11 NOV 2021 AT 18:33
कीजिए बंद आँखें 'नसीरؒ ' और फिर
भेजिए 'उनकीﷺ ' सूरत पे लाखो सलाम।।-
15 SEP 2021 AT 11:12
वोह 'फूल' जो मेरे दामन से हो गयें मन्सूब,
खुदा करे उन्हें 'बाज़ार' की हवा ना लगे।।-
18 AUG 2021 AT 20:55
किसी की याद से तस्कीन-ए-जाँ है वाबस्ता
किसी का ज़िक्र चले! और बार बार चले।।
-पीर नसीरूद्दीन-नसीरؒ-