उड़ के जो तेरा आंचल किसी गैर के शाने पे गया
कुछ देर के लिए ही सही मेरा दिल जल तो गया
इतनी फुरसत ही कहां के कहीं और मै देखूं
दानिश मैं भी गया उधर तेरा साया जिधर गया-
Shayari Writer
Birthday 8 October
क्यों मिलती है हर बार उनसे ही नज़र दानिश
मिलता नहीं जिनसे किस्मत का सितारा कभी-
रिश्ता तेरे रूह से था सो आज भी है ,दानिश,
लोग तेरे जिस्म का तलबगार समझते हैं मुझे-
उल्टा सीधा सब बताया जा रहा है
सच्चाई को छुपाया जा रहा है
दानिश उससे फिर से बातें करनी है
इसलिए ये जाल बिछाया जा रहा है-
मर चुकी हैं ख्वाहिशें अब सिर्फ़ समझौते बचें हैं मलाल ये है जब सब खत्म फिर हम क्यों बचे हैं
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दानिश देर से सही लोग समझ तो आते हैं
मसअला ज़िंदगी का इससे आसान हुआ है-
मैने अपने दिल में तेरी यादों की कब्र बनाई है जो हो सके तो तुम कभी फतेहा पढ़ने आना
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रब जो चाहे फुल पतझड़ में भी खिल जाते हैं
जिन्हे मिलना हो हर हाल में मिल जाते हैं-
यूं तो हार मोड़ पर कुछ लोग छूट जाते हैं
दानिश मिलते वही हैं जिन्हे सितारे मिलाते हैं-
मै रुक तो जाऊं देख कर तेरी आंखों के इशारे को
मगर डर है न बन जाए मेरे लिए उम्र भर का कैद खाना-