हम उनके ख्वाबों में आया करते थे,
कुछ वक्त साथ बिताया करते थे,
ये जो दरख़्त देख रहे हो? याद है हमारी,
यहां वो अक्सर मुझसे मिलने आया करते थे,
इन डालियों के फूल कितने मुरझाए हुए हैं,
कभी ये उनके दीदार से मुस्कराया करते थे,
कितनी आरज़ू है उनके नक्श-ओ -निगार की हमें,
जिन्हें देखकर जुगनू भी जगमगाया करते थे।
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"वो अपना प्यार मुझे कुछ इस तरह दिखाती है
कभी गुस्सा होती है तो कभी रूठ जाती है
मैं उसकी हर एक को बात मान लेता हूं
जब वो अपनी मीठी आवाज़ से मुझे बुलाती है
मैं उसको सताने के वास्ते गर ख़फा हो जाऊं
वो मेरी नाराज़गी दूर कर मुझे मनाती है
रातें कुछ इस तरह मुज़तरिब करतीं हैं उसे
कि उसकी ख़ामोशी मुझे सबकुछ बताती है
कुछ यादों के सबब गुज़र रही है ये ज़िन्दगी
इतना कहकर वो अक्सर चुप हो जाती है
मेरे वजूद से मुनाफ़िक़ों को तकलीफ़ होती है
वो अली का नाम लेकर उन्हें ख़ूब जलाती है
कभी जज़्बाती हो जाऊं तो इतना कह देता हूं
बस तुम्हें देखकर मुझे अपनी याद आती है...."-
"मज़ीद यूं चुप ना रहा करिये साहब
आपके अल्फाज़ को तरसते हैं लोग...."-
मेरी ख़ुशी को ही लेकर चले जाओगे
और भला मेरे साथ तुम क्या कर पाओगे,
कितनी उलझनों में जी रहे हैं हम यहां
क्या इस वक्त भी साथ मेरा नहीं निभाओगे,
माना थोड़ा सा गुस्से भरा लहज़ा है मेरा
तो इस बात पर तुम मुझसे ऐसे बतलाओगे,
वो कितनी रातें जगी हैं तन्हा तेरी याद में
इन आंखों को अब तुम अशकों से नहलाओगे,
ज़िक्र जिनका करते नहीं थकती थी ये ज़ुबां
कैसे बातों को उसकी तुम झूठा ठहराओगे,
'अली' की बातों में है कोई राज़ तो गहरा
न हम बतलाएंगे और न तुम समझ पाओगे....-
"Engineers are the ones who bring technology to make our lives simpler,to bring comforts, to bring ease and today is the day to thank them.....
Happy Engineer's Day"-
मांगा था जिसको वो हबीब हो,
ऐ दोस्त मेरे दिल के बहुत करीब हो,
कुछ खुशियां मैंने भी मांगी हैं खुदा से,
वो सारी खुशियां तुम्हारे नसीब हो.......
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मैं उसको बड़ी शिद्दत के साथ पढ़ता हूं
कभी चाहत से कभी उल्फत के साथ पढ़ता हूं,
गर तसव्वुर में गुज़रती है कभी शब जो मेरी
उसके चेहरे को हिफाजत के साथ पढ़ता हूं,
गौर करना कभी मेरी बातों पर गौर करके
मैं उसकी हर बात को वज़ाहत के साथ पढ़ता हूं,
करती है जो ज़िक्र अपनी क़लम से वो मेरा
उसके अल्फाज़ को अज़मत के साथ पढ़ता हूं,
गर होती है मेरे इश्क़ से मुलाकात जो मेरी
गज़ालो को उसकी इजाज़त के साथ पढ़ता हूं,
मन्नत से मुकम्मल जो होती है मन्नत मेरी
होंठों को उसकी मुस्कराहट के साथ पढ़ता हूं...-
चाहा था जिसको वो मेरा जहां मिल गया
किया पीछा तो उसका मकां मिल गया,
जो कभी सोचते थे बस ख्यालों में हम
वो मेरा इश्क़ मुझको यहां मिल गया,
बड़े ही मुद्दत के बाद देखा है उसको
लगा जैसे घर का खोया आईना मिल गया,
चल रहे थे तन्हाई में हम रातो दिन
चलते चलते एक नया कारवां मिल गया,
कभी ख़ामोश रहना इक आदत थी मेरी
मिले जो तुमसे तो अंदाज-ए-बयां मिल गया,
उनकी नज़रों से नज़रें मिला कर देखा जबसे
'अली' को इश्क़ उनका बेपनाह मिल गया....
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बिना बोले ही सब कुछ बताया जा सकता है
मोहब्बत का सबक सबको सिखाया जा सकता है,
कौन कहता है कि शराब हर दर्द की दवा है
गले लगकर भी कुछ दर्द को मिटाया जा सकता है,
हर दफा लाज़मी नहीं है इश्क़ का इज़हार करना
कभी बिन कहे भी प्यार जताया जा सकता है,
अक्सर उनकी चोखट से ही लौट जाते है हम
रुक कर वहां कुछ वक्त साथ बिताया जा सकता है,
तलाशते हैं जिस हुस्न को जुगनू भी रात भर
कोई पूछे तो पता उनका बताया जा सकता है,
गर करना हो दीदार उनका तो ज़रा गौर से सुनो
'अली' बोल के खिड़की पर बुलाया जा सकता है।-
"वक़्त की आंधी ने गिरा दिये हैं महल कई,
क्या तू अब भी कायम है अपने गुरुर पर..."
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