इश्क़ का हमारे अब हम क्या ही इज़हार करें,
जब मोहब्बत को हमारी ये ज़माना बयाँ कर रहा है..-
आसमान में चमकते सितारों सी हो गई है ज़िंदगी दामू,
निगाह में सबकी हैं मगर तनहाइयों... read more
अब तो बादल भी चल रहे हैं इधर से झूम के दामू,
तुम्हारे सूखे पड़े मैखाने मैं आख़िर कब बरसात होगी..-
इतने ही तो ऊँचे हैं शायद ख़्वाब तुम्हारे दामू,
जो पर्वत के शिखर पर आकर अक्सर पूरे होते हैं..-
आसमाँ को अगर ग़ुरूर है सितारों के होने का,
तो हमने भी कुछ जुगनू अपनी दीवार पर सजा रखे हैं-
हाल तो अपने तुमने अच्छे बता दिए दामू,
मगर इस बुझे हुए चेहरे को कैसे छुपाओगे..-
अब रास्ते भी देख रहे हैं हमारी तरह राह तुम्हारी,
चलने को साथ इनपे कोई मुसाफ़िर भी तो चाहिए..
ओर मुश्किल लगते हैं रास्ते अगर चलना पड़े तनहा,
मगर साथ कोई साथी हो तो फिर मंज़िल किसे चाहिए..-
पेड़ पर लगे हुए वो पत्ते हो क्या तुम,
जो मौसमों के बदलने पे रंग बदल देते हैं...-
ज़िंदगी को जीने की दिशा बदलो दामू,
जीवन की दिशा अपने आप बदल जाएगी।।-
इन कोरे ख़तों को क्या जलाओगे दामू,
हर हर्फ़ तो तुमने दिल में उतारा है..-
एक तुम ही नहीं निगाह में उनकी दामू,
इस समा पे मरने को परवाने हज़ारों हैं..-