लिख दे इन पन्नों पे जो सुना नहीं गया....
सुकून भले ही ना मिले,
पर कुछ पल की लिए राहत तो मिलेगी...
दर्द मुस्कुराऐगा कुछ पल के लिए...
कुछ पल के लिए इस दिल को,
खुशियों की आहट तो मिलेगी...-
कहानी लिखती हूँ....
बातों में मस्ती...
मस्ती में बातें...
बातें वो कई करती है..
दिल में जो है..
बस वही ,
जुबां पे रखती है...
अपना हर एक किरदार निभाने में..
उसने कमी कोई ना छोड़ी है..
वो बेटी अच्छी..
वो बहन अच्छी...
और उसकी दोस्ती तो बे-मिसाल है..
जैसे सबकी एक पहचान होती है..
उसकी भी अनोखी पहचान है..
मैं जिसकी बात कर रही हूँ..
वो दिल की बहुत साफ़ है...-
सुना है...
सुनता नहीं है उनकी बातों को तू..
तो बता फिर उन बातों का तुझपे असर क्यूँ है..
वो चार लोग जिनकी कोई पहचानन नही है,
अंधेरे में परछाई जैसा है अस्तित्व जिनका..
बता उनका तेरी कहानी में ज़िक्र क्यूँ है...
वो जिनका नज़रिया ,
तेरे नज़रिए से गुज़रना नहीं चाहता...
वो जिनका नज़रिया ,
तेरे नज़रिए से गुज़रना नहीं चाहता...
बता वो नज़रिया इतना अहम क्यूँ है..
ये कुछ लोग और उनकी बातें...
ये कुछ लोग और उनकी बातें...
रेत का महल है...
पर समझ नही आता,
ये महल इतना मज़बूत क्यूँ है...
करके पिंजरे में कैद तुझे...
करके पिंजरे में कैद तुझे..
ये तुझे बतायेंगे कि,
इस कैद में ही महफूज़ तू है..-
जानना चाहते हो क्या खास है दोस्ती में,
मुझे पहचानती है दोस्ती...
जहाँ बुरे वक़्त में अपने भी मुँह फेर लेते है,
वहाँ गले लगाना जानती है दोस्ती..
जहाँ मुझे डाँट कर मुझसे मेरी गलती मनवाना जानती है ,
वहाँ मेरी जुबाँ पे झूठ होने पर,
आँखों से सच पड़ जाना भी जानती है दोस्ती..
जहाँ बिखरे हुए काँच से दूर भागती है दुनियाँ,
वहाँ उस बिखरे काँच को समेटना जानती है दोस्ती...
मुझे मुझसे नाराज़ नही रहने देती,
क्योंकि रूठी हुई जिंदगी को भी
मनाना जानती है ये दोस्ती...-
एक सवाल था मन में..
कि वो घर है या मकान...
जहाँ कुछ लोग रहते है,
जो एक दूसरे से है अंजान..
बस दौड़ते है किसी दौड़ में..
खुदा जाने ....
वो खुद को भी पहचानते है..
या फिर खुद से भी हैं अंजान...-
जो कभी अतीत में झांकती है,
तो कभी आने वाले कल में..
आज में तो बस ,
कुछ गिनती के पल ही बिताती है..
बस इस पल से अगले पल में ,
जाने की जल्दी में रहती है..
जैसे ज़रा ठहर कर मुझसे बात करना,
तो मुनासिब ही नही है इसके लिए..-
कितनों की आँखों में चुभते है...
यकीनन हम गुलाब तो नही है...
यहाँ लोगों के इतने चेहरे है,
कि कौन अच्छा है और कौन बुरा..
ये बताना मुश्किल है..
लोग हमें बुरा बताते है..
इसका मतलब,
यकीनन हम बुरे तो नहीं है..-
दिल पथ्थर का नहीं है,
फिर भी दिल को पथ्थर सा कहती है...
बातों बातों में कुछ लफ़्जों को घुमा कर,
फर्क नहीं पड़ता अब मुझे
ये वो बहुत आसानी से कहती है...-
ਤੂੰ ਕਿਉਂ ਏਨੀਆਂ ਤਰਕੀਬਾਂ ਲਗਾਉਂਦਾ ਏ,
ਤੂੰ ਕਿਉਂ ਖੁਦ ਨੂੰ ਇੰਨਾ ਚੌਕਾਉਂਦਾ ਏ।
ਇਹ ਦੁਨੀਆਂ ਤਾਂ ਖੁਸ਼ ਹੋਣ ਤੋਂ ਰਹੀ,
ਤੂੰ ਕਿਉਂ ਆਪਣਾ ਸਕੂਨ ਗਵਾਉਂਦਾ ਏ।।-
Digital रिश्ते...
Digital बातें...
Digital हमारे emotions हैं...
Emoji's ही बताते है ,
कि हम हस्ते है या रोते है....-