मेह बरसया कहिर बन के,
खेत डुब्ब गए दरिया बन के।
किसान रोवे, छतां उत्ते बैठे,
रातां नू नींदां सारेआं तो कट्ठे।
नदियां विच उफान वड्डा,
पिंडां दा उजड़ गया कड्डा।
हे रब्बा, रहमत वरसा दे,
पंजाब नूं खुशियां वापस ला दे।-
न डिग्रियों का सबूत माँगते हैं,
न इल्म-ओ-हुनर की किताब माँगते हैं।
मगर ऐ साहिब-ए-मुल्क, ऐ रहनुमा,
हम तो बस अपने हक़ का हिसाब माँगते हैं।
करोड़ों का फंड आता है, कहाँ चला जाता है ?
किस हाथ से निकलता है, कहाँ सिमट जाता है?
बस सड़को पर गड्डे है और गड्डो मे पानी,
और खाली हैं नेताओं के वादों की कहानी
ये जनता का पैसा है, कोई नेमत नहीं,
ये आवाज़ है हक़ की, रहमत नहीं।
हिसाब दो... वरना ये याद रखना,
सवाल करेंगे हम, बस इजाज़त नहीं।
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रिद्धि-सिद्धि विनायक तू,
सारे जग का है नायक तू।
तू ही हरता है दुःख सारे
तू ही तू है सुखदायक तू।
जय श्री गणेशा! 🙏-
तेरी चाल समझ मे आ गई अब, तुझे आज़माने के बाद
मैंने बहुत कुछ खोया है ऐ ज़िन्दगी, एक तुझे पाने के बाद
यहाँ तक पहुँचने के लिए मैंने एक अच्छी खासी उमर निकाली
पर हासिल कुछ ना हुआ मुझे,मेरे हाथ रह गए दोनों ही खाली
खुशिओं ने मेहमानदारी निभाई और मुसीबत तो बिन बुलाये ही आई
मुसीबते ऐसी जाने कैसी कैसी मैंने बिन चाहे ही पाली
यहाँ तक पहुँचने के लिए मैंने एक अच्छी खासी उमर निकाली
अब हंसती है मुझपर दुनियाँ सारी मुझे यूँ तरसाने के बाद
तेरी चाल समझ मे आ गई अब, तुझे आज़माने के बाद
मैंने बहुत कुछ खोया है ऐ ज़िन्दगी, एक तुझे पाने के बाद-
सच की राह पे चला तो सफ़र आसान न था,
ईमानदारी का नतीजा कभी मेहरबान न था।
हर बोझ-ए-ज़िम्मेदारी मेरे कांधों पे रखा गया
मगर हक़ का सिला पाना कभी आसान न था।
लोग कहते हैं कि राहत में हूँ, चैन से हूँ,
ये धोखा था नज़र का, ये मिरा अरमान न था।
अपनी ख़ुशनूदी को क़ुर्बान कर दिया मैंने,
मगर किसी को भी इसका कभी एहसान न था।
दुनिया तो हुई आबाद मेरी सादगी से,
मैं बरबाद हुआ, पर किसी को गुमान न था।
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खुदको हम आखिर मे बुज़दिल कर लेते है
अपनी जीने की राह को मुश्किल कर लेते है
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रिश्तो मे और किश्तो मे
मैं बंट गया कई हिस्सों मे
हिसाब जिंदगी माँगने आई
जवाब ये दूँ किसको मैं?
रिश्तो मे और किश्तो मे
बंट गया कई हिस्सों मे
किश्तो का जोर कमजोर अब करने लगा
रिश्तो के बोझ तले दब के अब मरने लगा
रिश्ते तो संभाल ही लूंगा सब मेरे सारे अपने है
पर किश्तो का क्या करूँ किश्तो के पैसे रखने है
पैसा बड़ा है जानदार, है वजनदार, है शानदार
जब पास हो तो लगता है जैसे हो अपनी सरकार
सब है किसी मुसीबत मे अब देखता हूँ जिसको मैं
रिश्तो मे और किश्तो मे
मैं बंट गया कई हिस्सों मे-
किसी की ज़िंदगी को मत आँकना तू अपने गुमान से,
हर चेहरा वाक़िफ़ नहीं होता यहाँ दिल के बयान से।
हक़ नहीं तुझे किसी को जाँचने का, ऐ इंसान,
हर दर्द की तासीर है जुदा, हर रूह का है अपना मक़ाम।-
ख़ुशी मे जो साथ हो ना हो पर दुःख मे जो अपनी मौजूदगी ठहराता है
साफ सीधे सरल शब्दों मे पूछो तो वही बस गरीब कहलाता है
अपनी मुफलिसी का चर्चा कभी सरेआम नहीं करता है
कोई उसे खुद पर मुन्हासीर ना समझें इस बात से शायद डरता है
वक़्त से उम्मीद लगातार बस सब सही हो यही करता है
गरीब अपनी मुफलिसी का चर्चा कभी सरेआम नहीं करता है
जिक्र दुनियाँ से नहीं करता रोज कितनी मुसीबतों से टकराता है
साफ सीधे सरल शब्दों मे पूछो तो वही बस गरीब कहलाता है-
ज़िन्दगी एक किताब है
जिसमे कई अध्याय लिखें है
कुछ पढ़े है कुछ बिन पढ़े और कुछ रह गए अधूरे
पर रोज दर रोज की कश्मकश मे उन्हें कैसे करें पुरे
हर रोज़ नया कुछ खोजते है
पर मिलता ही नहीं जो सोचते है
शायद ना मिलना ही हिस्सा जिन्दगी का होता है
अधूरा रहना भी ज़िन्दगी मे बहुत जरुरी होता है
जिन्दगी की किताब को मैं खोलना चाहता हूँ शाम सवेरे
जिसमे कई अध्याय लिखें है
कुछ पढ़े है कुछ बिन पढ़े और कुछ रह गए अधूरे
पर रोज दर रोज की कश्मकश मे उन्हें कैसे करें पुरे
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