आज मन है...
लिखने का वो सारे ज़ज़्बात
जिनको कब से सुल्झा नहीं पायी मै
वो सारी बाते जो वालिद से कह नहीं पायी मै
वो हर एक ख्वाब जो इस टूटे से ज़हन के नीचे दिल की तरह चित गया.
वो सारी मुस्कुराहटे जो मैने गवा दी कीमत की तरह
वो सारी मासुमी जो लूट ली हालातो ने मुझसे
वो सारा दिल का बोझ जिसे जाने कब से ढो रही हूँ मै
वो सारे आन्सू जो इस बीच आदावत दिखाकर हमराह बन गये
वो हर सान्स जो खुशबू मे नही दर्द मे निकली है
वो हर आह जो अनचाही थी-
Dad's Differ
(Dad's differ)
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Talaash e sukun
Joined 6 November 2020
20 DEC 2021 AT 3:18
23 MAR 2021 AT 2:57
Hold yourself responsible for a higher standard than anybody else expect from you........
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