शहीद-ए-आजम
हंस कर झूल गया फांसी पर भगत सिंह मस्ताना था
भारत मां को बंधन मुक्त कराने का वो दीवाना था
अत्याचार देख गोरों का उसका रक्त उबलता था
कर्त्तव्य पथ पर चला वीर,शांत नहीं चल सकता था
देश के कोने-कोने में उसने क्रांति की ज्योति जलाई
मातृभूमि भी माता ही है ये बात सभी को सिखलाई
हम स्वदेश आजाद करेंगे कसम थी उसने खाई
"नौजवान भारत सभा" नाम से एक पार्टी बनाई
केंद्रीय सभा में बम फेंक कहीं नहीं वो भागा था
फांसी की सजा सुन,मुस्कराने वाला वो शहजादा था
फांसी वाले दिन उसने 'मेरा रंग दे बसंती चोला' गाया
फांसी का फंदा चूम,भारत मां की जय बोल,मुस्काया
भगत सिंह जैसे वीरों पर इस देश को अभिमान है
"शहीद-ए-आजम" तुमको मेरा बारम्बार प्रणाम है
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