निकल पड़ा हूँ तलाश में
सपनो के तालाब में
उस अज्ञात मोती को पाने
जिसके तय नही पैमाने
पीछे सूरज की बिखरी रोशनी तो है
पर आगे अंधेरे में एक अकेली चमक भी है
खतरा बहुत हैं जानता हूँ
जिम्मेदारी कई हैं मानता हूँ
समय दबाव बना रहा हैं
परेशानियों को उकसा रहा है
अब नही है अतीत का भय
स्वसों में भर चुका हूँ प्रलय
शंख-नाद ऊपर ही छोड़ चुका हूँ
भुजाओं के बल पर रण में कूद चुका हूँ
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|| तेज भवानी का ||
सदा जीवित रहे , तेज भवानी का,
जिसे सींचता है, खून मर्दानी का ।
लिए रणचंडी का नाम जुबानी,
वो लाल, सपूतो की तलवारों का पानी,
जमीदोज हुए लाखों अभिमानी,
और फहर उठा केसरिया ध्वज हिंदुस्तानी ।।-
|| न जाने ||
कितनो को चलना सिखाया इस कंकाल ने,
कितने मौसम झेले इस खाल ने ,
कितने कंघे झेले इन मुछो के बाल ने,
कितनो के आँसू पोछे कंधे के रुमाल ने,
आँखों को भिगोया कितनो की चाल ने,
कितना तरसाया एक मुट्ठी दाल ने,
फिर भी- कई बार सर झुकाया आकाल ने ,
क्योंकि मुझे बनाया है उस गोपाल ने-
How fast you may drive !
Traffic in the road will never end
until
you reach your destination!-
|| तेज भवानी का ||
सदा जीवित रहे , तेज भवानी का,
जिसे सींचता है, खून मर्दानी का ।
लिए रणचंडी का नाम जुबानी,
वो लाल, सपूतो की तलवारों का पानी,
जमीदोज हुए लाखों अभिमानी,
और फहर उठा केसरिया ध्वज हिंदुस्तानी ।।-