दिल में यादों का सुरूर रहने दो,
पलकों पर ख़्वाबों का नशा रहने दो,
यूँ ही महकती रहे ज़िन्दगी की राहें,
इसके लिए हर लम्हें में
चाहत का थोड़ा तो असर रहने दो।
हर साॅंस में एक मीठी सी खुमारी रहने दो,
हर बात में कुछ ख़ास एहसास रहने दो,
इससे पहले कि सफर में खो जाए ख्वाबों के रंग,
याद-ए-ख़्वाब का हसीन खुमार रहने दो।
~ Shamma.-
आँसुओं की स्याही से
शायद लिखीं गई है कहानी हमारी।
किसी पल मे कसक,
तो किसी में छुपी है सिसकियाँ हमारी।
खामोश रातों में,
हमारे साथ जागती हैं उलझनें हमारी।
कहने से अब कम होता नहीं,
दिल का यह बोझ,
इसलिए कभी हँस कर छुपा लेते है,
तो कभी ख़ामोश होकर
इस दर्द में खुद को समेट लेते हैं।-
माना कभी कभी तसल्ली से
उनसे चार बातें भी नहीं हो पाती है,
पर रोज़ एक ही सपना साथ देखते देखते
न जाने कब सो जाते है हम।
माना हम दोनों के शहर बहुत दूर है
और इस ज़माने के लिए
हमारे इश्क़ को समझ पाना मुश्किल है
फिर भी उम्मीद है क़िस्मत हमें
और हमारे दिलों को मिलाने के लिए
एक सुंदर कहानी ज़रुर बुनेंगी।-
ना जाने क्यूँ
अब अपने अजनबी से लगने लगे हैं |
हर लम्हा
हमारे साथ हुआ करते थे जो कभी,
आज वही मुँह मोड बैठे हैं |
एक दिन पूछ लिया हमने -
क्यों इतना दर्द कम्बख्त देते हो |
वो हँसे और बोले -
हम अपने हैं पगली,
तुझे जिंदगी के सबक सिखा रहे हैं |-
सख्त हो चुकी एहसासों की ज़मीन पर
उम्मीदों के फूल खिला नहीं करते हैं।
बेअदब का गुमान रखने से न व्यवहार बनते है
और ना ही रिश्तें मजबूत हुआ करते हैं।
सब कुछ अर्थहीन हो जाता है
जब अपनों के होते हुए भी
ज़िंदगी के कुछ पल लावारिसों की तरह
गुज़ारने पड़ते हैं।-
उनसे मिलने की आस में
सियाह न जाने कितनी ही रातें की हैं।
इन ऑंखों की दहलीज में कैद ऑंसू
बस आज़ाद होने की कगार पर हैं।
कोई माने या न माने,
उन्हें अपना मान बैठे है कुछ इस तरह की
ताउम्र यही उनका इन्तज़ार करते रहेंगे।-
अपनों के बदलते रंगों को पहचानने के लिए
ऑंखों के दरिया का बह जाना जरूरी हैं।
खुद को सही मायनों में पाने के लिए
इन पलों में खुद को खो देना जरूरी हैं।
इन्सान होने के भ्रम को बनाए रखने के लिए
जफ़ाओं से ज्यादा वफाएँ याद रखना जरूरी हैं।-
न जाने ये किस की नज़र
हमारी खुशियों को लग गई हैं।
न जाने क्या खता हुई है हमसे की
दुआओं की छत भी अब टूटने लग गई हैं।
अफसोस सिर्फ इस बात का है की
इल्ज़ामों के भंवर में डूबोने वाले
न जाने क्यों अक्सर
अपनेपन का लिबास ओढ़े होते हैं।-
अक्सर
रह जाती है कुछ बातें अनकही...
हर उस जज़्बात को खुद में समेट
उन्हें एहसासों की स्याही से
खाली पन्नों पर उकेरना
अब है आदत हमारी कलम की।-
दिल में उठते जज़्बातों के शोर की
अधुरी रह गई ख्वाहिशों से
ख़ामोश गुफ्तगू कराए जा रहे हैं।
न जाने कितनी बातें कह पाएंगे
और कितनी नहीं
फिर भी
आहिस्ता आहिस्ता कोरे कागज़ पर
एहसासों के हर लफ्ज़ को
वक्त की सिलवटों में
समेटने की कोशिश किए जा रहे हैं।-