आंखे बंद करु तो तेरी शक्ल आंखे खोलू तो तु अस्ल कुछ कहू तो तेरा ज़िक्र न कहू तो तेरी फ़िक्र सोचू तो तेरा खयाल न सोचू तो खुदसे सवाल जंग में हूं खुद से जाना कश्मकश बड़ी है... ये उल्फत है या एक तरफा दिल्लगी है|
Lingering in oblivion Of past and present.. Shattering in grieves Of love and hate... Shivering in breeze. Of despair and pain.. Living in midst Of heaven and hell...