ज़िंदगी की भाग दौड़ में सुकून कहीं पीछे छोड़ आई,
सबसे आगे निकलने के लिए मैं अपना घर छोड़ आई,
छोड़ आई वो गोद जहां एक थपकी में नींद आजाती थी,
छोड़ आई वो जगह जहां मेरी हर फरमाइश पूरी हो जाती थी,
छोड़ आई सबको जो मेरी परवाह करते है,
छोड़ आई में अपनों को जो मेरे दिल में रहते है,
ज़िंदगी की भाग दौड़ में सुकून कहीं पीछे छोड़ आई,
सबसे आगे निकलने के लिए मैं अपना घर छोड़ आई-
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रोने पर डांटती है,
रूठने पर मनाती है,
खाना न खाओ तो अपने हाथों से खिलाती है,
वक्त आने पर दोस्त भी बन जाती है,
अपने बच्चों को मजबूत बनाती है,
फिर मां अपने लाड़ से उन्हें बिगाड़ भी देती है-
लग जा गले की फिर ये हसीन रात हो न हो,
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,
मिलन की ये घड़ी अंतिम न हो, दरख्वास्त है नसीब से,
बसा लिया है तुम्हे आंखों में मिली हो जब से,
बातों में यू वक्त जाया न करो,
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,
ठहर जाइए की न रह पाएंगे तुमसे दूर,
अब ना रोना कभी की पोंछ पाएंगे आंसू अगली बार,
आंखों से फिर ये प्यार की बरसात हो न हो,
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,
दिल चाहता है इस रात की सुबह न हो,
किसी भी जन्म में हम तुमसे जुदा न हो,
लग जा गले......-
हर एक नाकामयाबी,
बस एक ही नाकामयाबी याद दिलाती है,
वो नाकामयाबी याद आते ही,
आता है पछतावा कामयाब ना होने का,
आता है आत्म संदेह कि बाकी सब तो सही कर पाऊंगी ना?
और आते है आंसू कामयाब न हो पाने के कारण,
पर फिर उठ खड़ी होती हूं ,
क्योंकि फिर से नाकामयाब नहीं होना,
फिर से खुद को नहीं तोड़ना,
एक नाकामयाबी काफ़ी है मुझे तोड़ने के लिए,
एक ही नाकामयाबी काफ़ी है
मुझे वापस खड़ा करने के लिए!
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बातें भी होगी, मुलाकातें भी होगी,
पर न बात हो पाएगी न मिल पाऊंगी,
कुछ राज़ दिल से निकलकर पन्नो पर भी आयेंगे,
मैं जता तो दूंगी पर वो समझ नहीं पाएंगे!-
बातें भी होगी, मुलाकातें भी होगी,
पर न बात हो पाएगी न मिल पाऊंगी,
कुछ राज़ दिल से निकलकर पन्नो पर भी आयेंगे,
मैं जता तो दूंगी पर वो समझ नहीं पाएंगे!-
अब तो उस यारी को बयां करने के लिए लफ्ज़ भी नहीं बचे,
उस यारी की याद आना अब भी नहीं थमा,
उस यार से बातें तो रोज़ ही हो रही है,
पर उस यार से अब तक वापस मिलना न हुआ।-
दिवाली खत्म हो गई,
परिंदों का घर की कैद से आज़ादी के पिंजरे में वापस जाने का समय हो गया,
कुछ वक्त मांग कर आए थे अपने सफर से अपनों के लिए,
अब वो वक्त खत्म हो गया....-
जो तुम कृष्ण के भक्त तो राधा कैसे भुल जाओगे,
बिन राधा कृष्ण को कैसे समझ पाओगे,
जो प्रेम का पाठ पढ़ाने आई,
मृत्यु लोक में राधारानी कहलाई,
बरसाना जिनका धाम है,
उन्हें याद किए बिना श्री कृष्ण को नमन न स्वीकार है,
किशोरी जु के चरणों में बारम्बार प्रणाम है-
नहीं चाहिए चांद तारे तोड़के लाने के वादे,
तुम बस चांदनी पर साथ बैठ कर चांद को तकते रहना का वादा करो,
नहीं चाहिए दुनिया घूमने के वादे,
तुम बस हरदम हाथ थामने का वादा करो,
नहीं चाहिए चांद सूरज जैसे रूपक,
तुम बस हर दफा साथ रहने का वादा करो।-