फ़ितरत से ही पत्थर है हम,
ग़र हो कोई इश्क़ का समंदर,
तो रखते हैं डूबने का हुनर हम,
जो छोड़ के जाते हैं,
उसके पीछे नहीं जाते हम,
और जो दिल में सबको ही
रखने का रखते हैं हुनर,
उसके दिल में फिर रह नहीं पाते हम.-
❤️🌼🌺🌷🫶🥰 Request है सभी से की बिना पढ़े like, coment ना ही कर... read more
प्यार को भी ना करार आए,
जो प्यार को तुझ पर प्यार ना आए,
तु इतना प्यारा है हम दम के,
प्यार को भी तुझ पर प्यार आए..-
हम तो नशे में चूर रहते थे,
महबूब के आँखों में बसने से पहले,
इबादत से कोषों दूर रहते थे,
वो तो महबूब का रहमोकरम,
जो आँखों में बस कर,
बनाया उसे ख़ुदा का घर.-
📺 दूर दर्शन 📺
वो दूर दर्शन का एक ज़माना था,
रहते थे दूर दूर पर बैठते थे पास पास,
कभी कभी दूर तक था जाना पड़ता,
किसी क़रीबी के दर्शन के
लिए दिल था तरसता,
तब हसीन बहाना था दूर दर्शन
और काम का भी,
बहुत सी बातें परोसता ज्ञान की भी,
आया करमचंद पहला डिटेक्टिव टीवी का,
जीत लिया उसने दिल सबका,
वो बुनियाद सीरियल ने रखी,
नीव पारिवारिक सीरियल की,
दिमाग में चल रहीं कहानिया
बिक्रम बैताल की आज भी,
शक्तिमान उस दौर में लुभाता बच्चों को सभी,
Read in Caption / Page 2 ➡️— % &जवान समाचार देखने के बहाने,
देख आते किसी के हाल,
वो उसकी लबों पे हसी वो उसके भीगे बाल,
जब तक ना देख ले रहते थे बेहाल,
बहाने वो चित्रहार के, आते थे वही दिल हार के,
हसीन थी वो रंगोली,
उसके बहाने से होती आँख में चोली,
वो रामायण की सीता भोली,
देख कर ही दिल में होती थी होली,
लगता था के हम है राम,
बिन सीता के दिल में होली के
साथ साथ मचा था कोहराम,
महाभारत देखने होती थी महाभारत खूब,
गली मोहल्ले हो जाते थे सुन्न,
वो भी था एक युग दूर दर्शन का,
रहते थे दूर दूर पर बैठते थे पास पास,
सबका आपस में था साथ कुछ खास,
मोबाइल है आज हर हाथ में,
पास होकर भी नहीं है कोई साथ में. — % &-
के आजकल हो गया है, अब्बा, डब्बा, चब्बा, ये ज़ज्बा,
ग़म और तन्हाइयों के घेरों ने कर लिया है उसपर जो क़ब्ज़ा.-
हर कोई यहा पर है माहिर,
मेरे साहिर..
कोई धोखा देने में,
तो कोई धोखा खाने में.-
तभी तो सच्चे लोग बेइज्जत फांसी पे चढ़ जाते हैं,
और जूठे बाइज्जत बरी हो जाते हैं.-
जान हथेली पे रखकर तो सब चलते हैं,
हम तो जान को
जानेमन बनाकर दिल में रखते हैं.-
जब दिल ही नहीं रहा हमारा,
तो धड़कन रखकर क्या करे,
वो नहीं हुआ हमारा तो क्या,
हम तो उसमे डूबकर ही रहे,
वो जो ठहरा समंदर,
और हम फ़ितरत से ही पत्थर.-