खुशिया नसीब मे होनी चाहिए ,
तस्वीर मे तो सब मुस्कुराते है।
अपनापन दिल मे होनी चाहिए ,
लोगो के सामने तो सब अपना जताते है।
ये दुनिया बहुत जालिम है साहब ,
अपने मतलब के लिए
जूठी तारीफो की नदियां बहाने से भी नही कतराते है।।
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दुसरो से जितना मुश्किल नही है,
पर जब संघर्ष खुद से हो,
तो आगे बढ़ना इतना आसान भी नही है ।।
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अपनो से दूर रह पाऊ कैसे
ये दर्द यू छुपाऊ कैसे
निःस्वार्थ भाव से की मोहोबत सबसे
अब इन रिस्तो को निभाऊं कैसे ।।-
कमियों के साथ जीना अब रास आ गया,
अपनी परवाह करना क्या खूब आ गया ।
जो थे अनजान इस दुनिया से ,
अब चहेरों को पढ़ना ये वक़्त सीखा गया ।-
मुझे ऐसी जिन्दगी नही जिनि
जो मुझे अपनो से दूर कर रही है ।
पर कभी फुरसत मिले तो देखलो
मुझे क्या मजबूर कर रही है ।।-
दर्द होतो कॉपी पे उत्तार दु ।
प्यार होतो जिन्दगी मे उत्तार दु ।
दोस्त होतो मुसीबत से निकाल दु ।
और दुश्मनी में उत्तर जाऊ तो सीने मे उत्तार दु ।।
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कभी नही सोचा था राह आसान होगी ,
पर इतनी मुश्किल होगी ,
इसका आभास भी नही था ।
यकीन नही था किस्मत की मार इतनी दुख देती है ,
पर इस दुख से निकलना भी आसान नही था ।
संघर्ष तो खूब किया मैंने ,
पर इतना सब्र करना पड़ेगा ,
इसका ऐहसास भी नही था ।
कंधो पर ज़िमेदारी उठाने को आतुर था ,
पर इसका बोझ इतना होगा ये कभी सोचा भी नही था ।
अब तो इंतज़ार है उस मौके की ,
जहा सोनार के सौ वार को पूरा कर दे ,
लोहार की एक वार ।।-
डरने वालो को दुनिया डराती है ।
हँसने वालो को ये खूब रुलाती है ।
एक बार शिखर पर जा कर देखो साहब ,
नीचे गिराने वक़्त पर आजाती है ।।-
जो किया हु वो हुआ नहीं,
जो करता हु वो दीखता नहीं,
जो करना चाहता हु वो संभव नहीं,
पर जो करूँगा वो किसी ने सोचा नहीं ।-
सोचा था वक़्त बदलूंगा,
पर वक़्त ने मुझे बदल दिया ।
सोचा था सपना पूरा करूँगा,
पर इस संघर्ष मे मै खुद अधूरा रह गया ।
ख्वाइश थी बुलंदी को छूने की,
पर तलहटी मे सिमट गया ।
अब तो न चाह है न राह है,
बस सही समय का इंतजार है ।।
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