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कहीं पर माइनस कहीं पर प्लस,
बैठ जाओ बनाने इसे कमर को कस।
विभाजन करो, करो तुम गुणा,
ठंड बढ़ गई है पहनो तुम स्वेटर बुना।
बच्चो को हर जगह गणित नज़र आता है,
सोता हुआ भी वो गणित ही बड़बड़ाता है।
अगर आप समझने को तैयार हो जाएँ,
तो आपको गणित से प्यार हो जाएँ।
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कान्हा तू तो छलिया बड़ा गोपियों संग रास रचाए
अच्छा तो तू ही बता यह बात इस राधा को कैसे भाएँ
हमसे छुप कर तू ने हमारे ही नाजुक वस्त्र चुराए
अपने ही घर से चुरा चुरा कर माखन तूने खाए......!
यह राधिका रानी बस तेरे ही गुण गाती है
तेरे ही प्रेम से अपना तन मन श्रृंगार से सजाती है
तुझे देखते ही तेरे रूप में यह राधा खोई रह जाती है
शयाद इसलिए मै प्रेम दीवानी राधा कहलाती हूँ......!
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खटिया पे बैठ के हमार सास रोज रोज मारे ली ताना,
काम करे के बेरी मारे ली घातक हजार बहाना,
हमार जीअल मुश्किल कर देवेली जब बने ना अच्छा खाना,
तबीयत खराब बा बतावेली जब भी हमरा मायके रहेला जाना,
मन त.. करेला भेज दी केस करके उंकरा के थाना।-
बनके कनिया हम उनके घर पे जाइम,
खीर बनावे त.. आवेला ना उनकरा मैगी पास्ता हम खिलाइम,
लेके उनकरा साथे हम ताराचंडी घूमे जाइम,
आखिर असहि त.. हम नइकी कनिया कहाइम।-
पेंसिल और रबड़ के बीच खूब हुई लड़ाई,
पेंसिल अपने घमंड पर बड़ा इतराई।
पेंसिल: मै लिखूँगी ही नही तो तुम क्या मिटाओगे,
मेरे बिना तुम कोई काम ना आओगे।
रबड़: अगर तुम कुछ गलत लिखोगी तो मै ही उसे मिटाऊंगा,
फिर बच्चों से मै ही शाबाशी पाऊँगा।
पास आकर छोटी ने सुलझाया ये झगडा,
पेंसिल और रबड़ ने माफी माँग नाक रगड़ा।
अब पेंसिल और रबड़ करते है साथ काम,
बच्चों की सफलता के पीछे रहता है इनका नाम।
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ऐ! सखी उनकरा बिना दिलवा मे उँभ-चूभ धईले बा
लागता सजनवा हमरा पे कौनो जादू कइले बा...!-
हमारे प्यार के बीच तेरे पापा ख़लल बन गए है
शायद उन्हे हमारे प्यार का अंदाजा नहीं है....!
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