Chote Nawaab   (gaurav singh✍️)
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Joined 23 January 2020


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Joined 23 January 2020
15 AUG 2023 AT 19:40

नई नई दुकानें हैं सामान भरने दो
अफवाहों कि नाराजगी पुरानी है
जितना चाहे कान भरने दो

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15 AUG 2023 AT 19:35

मजबूर हैं मजबूत भी
मचलता है ताबूत भी
हो अगर सच दूसरा
दे कोई उसका सबूत भी
घाव को भरने का वक्त नहीं
हवा ने दूवा कुबूल की
लिखा मौन कागज पर
तो मिट्टी भी धूल हुईं
जब रखा जबान खामोशी से भूल हुई
फिर तरस भी एक बरस के बाद आया

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28 DEC 2022 AT 8:22

दूश्मन भी थर थर कांपे जिस शमशीर से
भारत मां हमेशा अटल रहेगी उस अग्नि वीर से

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18 DEC 2022 AT 14:01

।। बहन ।।
काले बादलों से ये सारे नीले आसमान भरें गए
और रहें दूरी मेरे और मेरी गुड़िया के बिच
मेरी गुड़िया के कान भरें गए
शिकायत नहीं किसी से
अपना सच लिए कतार में लगा हूं
जित में ख़ुश सब अपने
मैं अपनी हार में लगा हूं

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18 DEC 2022 AT 13:55

जिंदगी की डगर कुछ रही इस कदर
मैंने पन्ने पलटें तो किताब खत्म और
किताब पलटी तो पन्ने खत्म
जब आंख खुली तो निंद खत्म और
निंद लगी तो सपने खत्म

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18 DEC 2022 AT 13:53

इक अंदाज से उसने मेरे हुजरे में दखल अंदाजी की
फिर उसने झुमके लगा कर मेरी सारी तबीयत ताज़ी की
बिछाई खाट बिखेरे फूल उसने मौत की तय्यारी की
और जो हो गई उम्र बचाने की
फिर उसने अपने मतलब कि यारी की

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30 NOV 2022 AT 8:41

रो रही है तेरी फटी चादर
नुमाइश तो कर तवज्जो तो दें
मैं खुद को बेच आया हूं मेले में
मुझे छोड़ दो आयने में
रोना चाहता हूं अकेले में

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30 JAN 2022 AT 11:41

गोल-मोल क्यों बातें करनी हैं
साफ -साफ कह देना अच्छा
जलेबियां मीठी है
बड़े तीखे तेवर है तुम्हारे— % &

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27 JAN 2022 AT 11:28

उनके कोमल हाथों में जरा धूल तो लगने दो‌
गुनाह-ए-इश्क किया है मैंने
मेरे जुर्म को जरा मेरी एक भुल तो लगने दो
फुलों में कांटे छिपा रहे हो
खंजर को जरा ख़ून तो लगने दो
खता-ए-इश्क का मौसम है
जुदाई लेना है जरा सब्र रखो
महिना जून तो लगने दो

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23 JAN 2022 AT 14:18

जरूरी थी जरूरत उसकी
मैंने मुंह न फेरा उसके मतलब से
मिज़ाज तेवर और मेरे अज़ीज़
सब बदले हुए हैं
अरमान उम्मीद और न जाने
कितने कत्ल हुए हैं

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