7 OCT 2019 AT 6:45

हमारे जज़्बात सरीखे होते हैं।

काग़ज़ के ख़ंजर की तरह
इनके अलफ़ाज़ बेहद तीखे होते हैं।

मेरे मन की नदी में समाए समंदर पर
ये एहसास से भीगे होते हैं।

- ©️ chitresh deshmukh (bAbA)