हम अपने घर के सृजन के लिए,
कितनो के घरों का विध्वंस कर देते है...
विचार कीजियेगा...-
इश्क़ की शुरुआत अगर थप्पड़ से होती,
तो कोई इस चक्कर में कभी न पड़ता...-
कितने स्वार्थी है न हम,
जो धूप कल तक हमें नागवार लगती थी,
आज उसी से लिपटे हुए बैठे रहते है हम...
वक़्त वक़्त की बात है मेरी जान...-
कुछ लोगो का आपसे नाराज़ होना भी ज़रूरी है..,
पता चलता है कि सिर्फ नाराज़गी है या नफ़रत...-
इस बार लिखूंगा,
तो पूरी किताब लिखूंगा,
अपने अरमान और जज़्बात लिखूंगा,
लिखूंगा वो सब,
जो मेरे ज़ेहन में काफी वर्षो से है..
तो अगर इस बार लिखूंगा तो दो चार लाइन्स नहीं,
पूरी किताब लिखूंगा..-
लोगो के attitude ख़तम नहीं हो रहे है,
इधर मौसम के अपने अलग ही attitude है,
पंखा 4 नंबर पे रखो तो सर्दी लगती है,
3 नंबर पे रखो तो गर्मी...🤔-
जिस रिश्ते में एक दूसरे की परवाह नहीं,
उस रिश्ते को प्रवाह कर देना ही उचित है...
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शुरुआत में कोई भी,
अपने रिश्ते को दुनिया के समक्ष दो कारणों से छुपाता है,
कदाचित उस रिश्ते को आजीवन बचाकर रखने के लिए,
या तो उस रिश्ते से भविष्य में बचकर निकलने के लिए...-
एक शख़्स है जो बिलकुल मेरे हूबहू दिखता है
ऐसा आभास होता है, वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखता है,
मैं एकांत में जब कभी बैठता हूँ, वो मेरे साथ होता है,
बैठकर मुझसे बात करता है.,
एक शख़्स है जो बिलकुल मेरे हूबहू दिखता है...-
तुम्हारा आना और अकस्मात् चले जाना,
महज़ इत्तेफ़ाक़ था मेरे लिए...
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