Çhíträñsh Räj   (Chitransh)
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दुनिया के दस्तूर से दूर हु मैं
Joined 22 August 2018


दुनिया के दस्तूर से दूर हु मैं
Joined 22 August 2018
8 FEB 2021 AT 13:05

मै तो थक गया बाज़ार में,
सादगी ढूंढते-ढूंढते।


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26 JAN 2021 AT 19:37

अब असली politics शुरू होगा...
नंगा नाच होगा अब।।

देश की इज्जत के साथ बलात्कार करने के बाद भी
किसी को शर्म नहीं आएगी...

लोग अलग अलग narrative प्रेजेंट करेंगे...
Justification देंगे और in the last ये बोलेंगे...

...की उसकी ही गलती होगी ।।
कौन कहा था बाहर जाने को, खुद को स्वतंत्र कर हवाओं में लहराने को....क्या हुआ कि दिन उसका था।।

जब मालूम है कि जिस देश में Nation is just an idea कहा जाता हो....वाह उसका सम्मान कौन करेगा।।

ये मालूम होते हुए की जिस देश के नागरिकों को सर्वाधिक अधिकार होते हुए भी ...बिना कोई भेद भाव किए सबको बराबर Fundamental Rights देने के बावजूद भी.....आज़ादी के नारे as a hobby लगाने का शौक़ हो .... वहा उसकी इज्जत कौन करेगा।।

भोली थी..........ये तो होना ही था,
इसमें बलात्कारियों का दोष नहीं।।।

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9 DEC 2020 AT 21:15

क्या खूब रंग दिखा रहे हो
हमें पता है तुम कहीं और
इश्क की बाजिया लगा रहे हो।

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15 OCT 2020 AT 19:45

सितारे रोशन है अपनी चमक लेकर।।
और गुरुर चांद को है।

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11 SEP 2020 AT 22:25

नैतिक जिम्मेदारियों से दूर।
धर्म कर्म के विधान से दूर।
सामाजिक दृष्टकोण से दूर।
स्वयं की और स्वयं द्वारा अंकुशों से दूर।
खुद की तलाश में समाया हुआ।
निरंकुश मै, ये मै हूं ।।

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18 JUL 2020 AT 10:48

धैय ध्यान

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20 JUN 2020 AT 0:34

मेरे इश्क़ की इन्तहा ले रही हो ।।
बताओ तुम दिल ले रही हो
या जान ले रही हो।

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17 JUN 2020 AT 22:11

Madness and Money !
हम जैसे खुदगर्ज ओं की- ये बीमारी पुरानी है।।

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11 JUN 2020 AT 21:52


शब्दों से उलझ के ही थोड़ा और सुलझता हूं ।।
मैं लिखता हूं ।।

अपनी तनहाईयां लिखता हूं ।।

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19 MAY 2020 AT 22:43

मै शौक से भटका हूं ,
तू आवारा ना समझ ।।
मै लड़खड़ाता हूं ,
तू शराबी ना समझ।।






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