मै तो थक गया बाज़ार में,
सादगी ढूंढते-ढूंढते।
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अब असली politics शुरू होगा...
नंगा नाच होगा अब।।
देश की इज्जत के साथ बलात्कार करने के बाद भी
किसी को शर्म नहीं आएगी...
लोग अलग अलग narrative प्रेजेंट करेंगे...
Justification देंगे और in the last ये बोलेंगे...
...की उसकी ही गलती होगी ।।
कौन कहा था बाहर जाने को, खुद को स्वतंत्र कर हवाओं में लहराने को....क्या हुआ कि दिन उसका था।।
जब मालूम है कि जिस देश में Nation is just an idea कहा जाता हो....वाह उसका सम्मान कौन करेगा।।
ये मालूम होते हुए की जिस देश के नागरिकों को सर्वाधिक अधिकार होते हुए भी ...बिना कोई भेद भाव किए सबको बराबर Fundamental Rights देने के बावजूद भी.....आज़ादी के नारे as a hobby लगाने का शौक़ हो .... वहा उसकी इज्जत कौन करेगा।।
भोली थी..........ये तो होना ही था,
इसमें बलात्कारियों का दोष नहीं।।।-
क्या खूब रंग दिखा रहे हो
हमें पता है तुम कहीं और
इश्क की बाजिया लगा रहे हो।-
नैतिक जिम्मेदारियों से दूर।
धर्म कर्म के विधान से दूर।
सामाजिक दृष्टकोण से दूर।
स्वयं की और स्वयं द्वारा अंकुशों से दूर।
खुद की तलाश में समाया हुआ।
निरंकुश मै, ये मै हूं ।।-
मेरे इश्क़ की इन्तहा ले रही हो ।।
बताओ तुम दिल ले रही हो
या जान ले रही हो।-
Madness and Money !
हम जैसे खुदगर्ज ओं की- ये बीमारी पुरानी है।।-
शब्दों से उलझ के ही थोड़ा और सुलझता हूं ।।
मैं लिखता हूं ।।
अपनी तनहाईयां लिखता हूं ।।
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मै शौक से भटका हूं ,
तू आवारा ना समझ ।।
मै लड़खड़ाता हूं ,
तू शराबी ना समझ।।
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