हर वक्त उछलती हुई, कूदती हुई ,
किसी ना किसी के सपनो में खेलती हुई ,
ये यादें कभी कभी थम सी जाती है।
कहीं ना कहीं अतीत के बहाने,
कुछ कुछ पुरानी यादों के सहारे,
गुझऱते हुए उस वक्त को देखते हुए सामने,
ये यादें कभी कभी थम सी जाती है।
कहीं तुम्हारी सोच में, कहीं मेरी सोच में,
कहीं हमारी सोच में, ये आज भी मुझे रुलाती है;
चला था एक नए मोड पर नयी झिंदगी ढूंढने ,
पर ये यादें ,
ये यादें आज भी, कहीं ना कहीं, थम सी जाती है।
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