तेरी शख्शियत कुछ शब्दों की मोहताज़ नही,
ये तो शब्दों का वो समुन्दर है,
जिसके सामने समुन्दर की
गहरियों का वो पानी भी कम है।-
भीड़ में अकेला है आदमी,
सबके बीच खड़ा है वो आदमी
लाखो की भीड़ है उनमें
गुमनाम है,वो आदमी
जब तक भीड़ में है,
वो आदमी।
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वो रंग कहा अब मेरे,
खिला करते थे जो फूल कभी
वो फूल कहा अब मेरे,
ये पृथ्वी पूछ रही है हमसे
अब मैं वो किस्से किसे सुनाऊ,
गीत गाते थे जो पंछी
वो पंछी अब कहा है मेरे,
लौटा दो मुझे
मेरी वो रंगों वाली चाद्दर
ये पृथ्वी पूछ रही है हमसे
कहा है मेरी वो फूलों वाली चाद्दर।
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सुना है
जिस बाप ने बरसो तेरा बोझ अपने कंधों पर उठाया ,
उसको तू बोझ समझ वृद्धाश्रम छोड़ आया।-
जाने कहा खो गए हम
शायद पुराने दिनों में खो गए हम
खिलखिलाहट जहाँ तेरी आज भी है
उन राहो पर वो कदम कही आज भी है
खूबसुरत इस जहां में वो हसीन ख़्वाब
आज भी है......
जीवन मे तेरे निशा आज भी है
उकेरती है नाम तेरा उन धड़कनों का साथ आज भी है
हाँ इस दिल मे तेरा वो प्यार आज भी है।
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कही मिले थे हम
कुछ देर ऑसुओं से भीगे थे हम
जुदा होकर भी मिले थे हम ,
कदम रुके फिर उसी रास्तों पर
जहाँ कभी खड़े थे हम,
हाँ जुदा होकर भी मिले थे हम
अधूरी उन बातों में
पूरे हुए थे हम
जुदा होकर भी मिले थे हम।-
क्यों इस क़दर तुम खुद से यू मुँह फुलाए बैठे हो
क्यों इस कदर खुद की आरज़ू दबाये बैठे हो
मुस्कुराहट से ज़िन्दगी रोशन करो अपनी
ऐ दोस्त जो आंखों में अपने सपने दबाये बैठे हो
पूरा करो उनको अपनी मुस्कुराहट को वापस लाओ
जीवन जो रोशन है तुम्हारा, उसे फिर से जगमगाओ
ऐ दोस्त, तुम फिर से मुस्कुराओ।
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नींद ने दस्तक दी
फिर आंखों की
पलको से बाते हुई
अधूरी इन बातो में
सुबह ने दस्तक दी
खत्म फिर इन बातों का किस्सा हुआ
पलके बन्द हुई नींद का आगमन हुआ।
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कुछ शिकायतों को मुस्कान बनाना था
तुमसे मिलना तो था,
उस दिल को फिर से धड़कन बनाना था
तुमसे मिलना तो था,
लब जो बन्द थे उसको लफ्ज़ बनाना था
तुमसे मिलना तो था,
बिन कुछ कहे वो सब कह जाना था
हाँ तुमसे मिलना तो था।
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उस रोज़ आने में,
वो दूरियाँ अब बढ़ गई
वो शाम अब ढल गई
सीमित थी जो बातें,
वो अब शिकयतें बन गईं
देर कर दी तुमने
उस रोज़ हाथ बढ़ाने को
वो रास्ते अब बदल गए
अपनी मंज़िलो को भूल गए
देर कर दी तुमने उस रोज आने में।
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