Chitra kala   (चित्रकला बागड़ी)
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Joined 28 April 2020


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3 JUL AT 16:31






बिंदी को सैलाब बना

काजल को अभिमान

चूड़ी को तलवार बना

लाली को स्वाभिमान

पायल को ताकत बना

दुपट्टे को संघर्ष की चाल

फिर चल पड़ उस पथ पर....

जो तुम्हें खुद की पहचान दिलाती हैं।


@चित्रकला बागड़ी




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22 APR AT 16:58

आंख्या रो आंख्या सूं हेत ,
इण लागै जियां सावण अर धोरां री रेत ।

मिनख जमारै रा होर मिनख नीं सुहावे,
भींत लागै खंडर बंजड़ लागै खेत।

@चित्रकला बागड़ी

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17 APR AT 22:00

नैणा रा लोभी केऊं थाने, केऊं काळजे री कौर।
साथै -साथै चालजो, ओ म्हारे सिर माथै रा मोर।

बाट जोवै थारी जौड़ायत,मनड़े मांय उमड़यो घणघौर,
थांसूं म्हारो बोरलो, थे म्हारे काना री लोर।
@चित्रकला बागड़ी

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27 OCT 2024 AT 20:31

जब आंखे सिमट जाती है,
और होंठ खामोश हो जाते है,
तब तुम्हे दर्द नज़र आएगा,
कंपकंपाती, तड़फती,
बिलखती हाथों की उंगलियों में,
तो सोचना के कितनी
तकलीफ है जीने में।
जो पैर हजारों की भीड़ में नहीं डगमगाते ,
वो तुम्हारे सामने टिक नहीं पाएंगे,
तो महसूस करना के कितना
दर्द है मेरे सीने में।।

@चित्रकला बागड़ी


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21 OCT 2024 AT 12:16

जिंदगी में कुछ ऐसा चल रहा हैं,
चल नहीं, जल रहा है।
जलकर राख भी नहीं हो रहें,
कुछ ऐसे जल रहा है।

@चित्रकला बागड़ी

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17 OCT 2024 AT 20:58

लटपटाये पंखों में अभी जान भरने दो,
ये "जहाँ" कब किसका हुआ है ,
जरा खुद की उड़ान भरने दो,
नाम तो कई रिश्तों से मिल गया मुझे,
लेकिन कलम से अपनी पहचान भरने दो,

@चित्रकला बागड़ी

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5 OCT 2024 AT 11:13

हमने तुम्हारे इश्क का लिबास क्या पहना ,
इत्र की तरह महकने लगे।
@चित्रकला बागड़ी

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14 MAY 2024 AT 12:35

स्त्रीयां खुद चुन लेती है अपना श्रृंगार,
और गलत हमेशा पुरुषों को ठहराया जाता है।
@चित्रकला बागड़ी

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2 MAY 2024 AT 17:35

कुछ दर्द ऐसे होते है जो ,
ना DP में
ना STATUS
ना STORY
और ना ही आइने में नजर आते है,
वो लुप्त हो जाते है उन चेहरों में,
जिनकी मुस्कुराहट बेहद खूबसूरत ,
और आंखों का तेज़ बढ़ जाता है।
@चित्रकला बागड़ी

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8 MAR 2024 AT 12:41

मैं लडूंगी ...........
अपने सम्मान के लिए,
अभिमान के लिए,
अपने हक के लिए,
डटी रहूंगी अकेले ही।।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

@चित्रकला बागड़ी


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