मैं और बैरागी मीरा।।
(संवाद)
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याद आती हो,
तो रुलाओगी क्या।
जब तन्हा रहूं सब से ,
साथ नीभावोगी क्या।
सात जन्म नही बस एक पल में,
सारी कायनात की मोहब्बत दे पवोगी क्या।-
तेरे मेरे रिश्ते,
की कुछ यूं कहानी है
मैं तेरा और तू रकीब की दीवानी हैं।।-
आपके चेहरे की नूर से
रश्क तो चांद भी रखता होगा
आप इतनी खूबशुरत है की
आपके,
दीदार को खुदा भी त्तरसता होगा।।-
डायरी के कुछ पन्ने आज भी खाली छोड़ दिया करता हूं मैं,
उसकी याद में कभी कभी रो लिया करता हूं मैं,
गम के अंशू को शब्द बना खाली पन्नो को भर दिया करता हूं मैं,
तब भी ना जाने क्यूं एक पन्ना हमेशा खाली रह जाता ,
मेरी जिंदगी की उस हिस्से की तरह जिस पे तेरा नाम लिख दिया करता हूं मै।।-
याद आ गईं उसकी,
अब क्या करें ?
हम से पहले किसी और की हो गईं,
अब हम क्या करें?
इजहारे-ए-मोहब्बत में देर हो गई,
अब क्या करें ?
नाम तो बहुत बनाया जिंदगी में पर,
मोहब्बत गुमनाम हो गई,
अब क्या करें?-
उसका कहना भूल जाओ मुझे,
मेरा मानना भूल गया हूं उसे,
पर जब भी मोहब्बत का ज़िक्र आता हैं,
लबों पे उसका ही नाम आता है।।-
क्या पढ़े,
हम आपकी आंखो में,
खुशी के पीछे की गम,
या गम के पीछे की तन्हाई
या तन्हाई के पीछे हम।।-
याद आ गई, अब क्या करे
हम से पहले किसी और की हो गई, हम क्या करे ,
इजहार-ए-मोहब्बत में देर हो गई,
अब क्या करे,
नाम बहुत बनाया जिंदगी में ,
पर मोहब्ब्त गुमनाम हो गई,
अब क्या करे?
अब क्या करे?-