To Dear parents
Thank you all for the care, commitment , understanding shown during my immense health crisis during this week ..... I thank to each and every parents associated to our coaching institute ...…-
अपने पिता के लिए क्या स्टेटस लगाउ यारों
आज जो भी स्टेटस है , उन्ही के बदोलत है ।।।।-
किसी साधक ने ओशो से पूछा - राजनैतिक लुच्चे-लफंगों से देश को छुटकारा कब मिलेगा? ओशो ने कहा - "बहुत कठिन है? क्योंकि प्रश्न राजनेताओं से छुटकारे का नही है, प्रश्न तो तुम्हारे अज्ञान के मिटने का है ? तुम जब तक अज्ञानी हो, कोई न कोई तुम्हारा शोषण करता ही रहेगा ! कोई न कोई तुम्हे चूसेगा ही ! पंडित चूसेंगे , पुरोहित चूसेंगे , मुल्ला-मौलवी चूसेंगे , राजनेता चूसेंगे ! तुम जब तक जाग्रत नही हो, तब तक लुटोगे ही ? फिर किसने लूटा, क्या फर्क पड़ता है ? किस झण्डे की आड़ में लुटे, क्या फर्क पड़ता है ? समाजवादियो. से लुटे कि साम्यवादियों से, क्या फर्क पड़ता है ? तुम तो लूटोगे ही ! लूटेरों के नाम बदलते रहेंगे और तुम लुटते रहोगे ! इसलिए ये मत पूछो कि राजनैतिक लुच्चे-लफंगों से देश का छुटकारा कब होगा? यह प्रश्न ही अर्थहीन है ? ये पूछो कि मै कब इतना जाग सकूँगा कि झूठ को झूठ की तरह पहचान सकूँ ? और जब तक सारी मनुष्य- जाती झूठ को झूठ की भाँति नही पहचानती, तब तक छुटकारे का कोई उपाय नही है !
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इस दुनिया मे सीधा सीधा कुछ नहीं होता है साहब जिंदगी मे
मै एक बगीचे मे गया । मैने पेड़ पर दूर से फल देखा
अब फल को देखा मेरे आँखों ने, लेकिन लालच जागा मन मे , लेकिन मन तो वाहा जा नहीं सकता तो गया वहा मेरे पैर , अब पैर तो फल तोड़ नहीं सकते तो तोरा मेरे हाथों ने ,अब रही बात हाथ तो हाथ फल खा नहीं सकते तो खाया मेरे मुहं ने , अब मुहं फल रख नहीं सकते तो रखा मेरे पेट ने , और यह सब होते देखा माली ने ,माली को आया गुस्सा ,उसने मारा डंडा मेरे पीठ मे ,जबकी पीठ का इस पूरे कांड से लेना देना नहीं था ,डंडा मारा पीठ मे आंसु आया आँख से ,क्योँकि सुरु मे आँखों ने फेखा था फल को ।।।।।।-
किसी को क्या बताएँ कितने मजबूर है हम
बस इतना समझ लीजिये की मजदूर है हम ।।।।
मजदूर दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं-
" दौर-ए-इलेक्शन मे कहाँ कोई इंसान नज़र आता है,
कोई हिन्दू कोई दलित तो कोई मुसलमान नज़र आता है।
बीत जाता है जब इलाकों मे इलेक्शन का दौर...
तब हर शख़्स रोटी के लिये परेशान नज़र आता है।
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पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बज रही है
लगता है कोई जिन्दगी का किरदार अच्छे से निभा गया ।।।-
राहें उल्फत में कई मुकाम आया
हजारों कारवां बनाया
हजारों हमदम बनाया
गम इस बात की है
एहले वफ़ा किसी ने ना बनाया ।।।।।-
प्यार का हफ्ता है या
फीर हफ्ते भर का प्यार ।।।।
मिठास का हफ्ता चल रहा है या
फीर हफ्ते भर का मिठास ।।।।।-
"मुझे पत्थर बनाने में उसका बड़ा हाथ है,
जिसे मैं कभी फ़ूल दिया करता था !!"l-