अफसुर्दगी इस तरह भी बढ़ती है जानी, मैं
ऊब जाता हूं दुनियावी खुशामद देखकर-
मेरे यार मेरी पीठ पीछे भी करते नहीं बुराई,
तुझे इल्म नहीं है की मैं कितना अमीर हूँ
© चिन्मय सिंह तँवर-
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
© जानी जॉन एलिया
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किसी 'लेफ्टिस्ट ' के दिल में जगा आज़ादी का ख़ाब हूँ,
मेरी आदतें सब अच्छी है, फ़िर भी मैं आदमी खराब हूँ ...-
दिल है की बाप की मानिंद भूला देता है सारे सितम,
और आँख है की माँ की तरह उम्रभर रोती रहती है...
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इस भँवर में हूँ फसा मैं इस कदर,
यह ज़िंदगी के फ़ैसले मुझको है करते दर-बदर...
© दीवाना...-
मैनें बंबई-अमदवाद की बरसात सा आकार्शित करना चाहा तुमहे,
तुमने बिहार-पूर्वांचल की बाड़ सा मुझे नज़रअंदाज़ किया...
-दीवाना-
क्यों आग किसी की ज़िदगी में लगाते हैं लोग,
अश्क यूं ही बहते नहीं, आँखों से बहाते हैं लोग...
©दीवाना-
हर उस शक्स से थोड़ी नफरत है मुझे,
जो ज़रा सा भी तुझपे,
अपना हक़ जताता है...
©-दीवाना-
Faslein hi badhate hai ishq ke imtehaan,
Kurbat me shaq karne ko kuch rehta nahi...
'Deewana'-