थोड़ी सी धूप मिले...,
मिले थोड़ी सी छांव ...।
परिंदो सी उड़ती रहूं मैं..,
रख आसमां पर अपने पांव ...।
तितलियों सी इतराती रहूं मैं..,
कलियों सी महक जाऊं..।
नदियों सी बहती रहूं मैं...,
हवाओं सी लहर जाऊं...।
थोड़ी सी धूप मिले...,
बस मैं इतने में ही खिल जाऊं...।।-
तुम आकर तबाही क्यों मचाते हो.....
अगर मेरा होकर भी न होना हो तो....
इस कदर ख्वाबों में क्यों आते हो ...,
खुद का एहसास क्यों कराते हो...
यू मेरेे ख्वाबों की दुनिया की आकर..
खुद की एक अलग जगह क्यों बनाते हो....
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चाहें कितने ही ख्वाब अधूरे और टुट क्यों न जाये...l
ख़्वाबों से ही तो ज़िन्दगी हैं यार...😍-
उसकी आदतें मुझमें दिखनें लगी हैं....❣️
अब इसे क्या कहें... इश्क़ या अपना पागलपन...🤭🤭-
मोहब्ब्त ऐसी भी
हां..ये सच हैं की तु मेरी मोहब्ब्त हैं...
पर इस जहां में तेरे सिवा मां-पापा भी तो हैं.....
जिन से सीखा ही हैं मोहब्ब्त करना.....
हां..ये भी सच हैं की चाहत हूं मैं तुम्हारी...
पर तुझसे ज्यादा भी तो किसी औरों की चाहत हूं...
हां..ये सच हैं की तुझसा कोई रिश्ता नहीं ...
पर रिश्ते और भी तो हैं जिन्दगी में मेरे...
चलो आज मिलाते हैं तुझसे ज्यादा इन अपनों से...
जान हूं अपनी मां का..., मान-सम्मान हूं अपनी पापा का....
तबियत हूं अपनी दादी का ..और हर मुश्किल से मुश्किल सवालों का..
हल हूं अपने भाई-बहनों का...
और सबसे बड़ी बात स्वाभिमान हूं खुद का...
निशानी हूं पटेल खानदान का तो....
मुमकिन ही नहीं की बहक जाउँ मैं कभी...
दिल और बात तो ये सब भी रखते हैं ..
इक सिर्फ तुम ही तो नहीं..या फिर तुझसे पहले अकेली तो नहीं...
तो भी ये सच हैं की मोहब्ब्त आज भी तुझसे हैं ..
पर जिन्दगी में स्वाभिमान से बढ़कर मोहब्ब्त तो नहीं ...
मिलेंगे कभी किसी जन्मों में इस intercast के बिना....
हर किसी मोहब्ब्त को नाम मिले ये जरूरी तो नहीं...-
ख़ुद से दीवानगी
कुछ इस कदर
हैं कि...,
कभी-कभी अपनी
ही निखरती रंगत
पर शक होता है...।।
😜😜-
अजनबी हूँ...,अजनबी ही रहने दो साहब..!
अक्सर अपना बनकर पराया होते देखा है...।।-
मिले कोई शब्द तो बयां कर पाऊं की.....🥰
कौन सा राज हैं तेरे इन हाथों की उंगलियो में...❤😍-
वक़्त लेके कभी मिलो ख़ुद से तो......,
पता लगता हैं कि.....,
कितनी जरूरत से हो तुम...।।-
समय रहते हर रोज थोड़ा रोज से ज्यादा सीख लो...,
कुछ वक़्त ख़ुद के साथ और अपनों में बीता लो...।।-