हदें पार कर बैठा है वो,
शर्म उतार कर बैठा है वो।
आते जाते टट्टुओ का चौकीदार था जो कभी,
आज सरकार बन बैठा है वो।-
चमकती ज़मी पर कदम रखने की ये चाहत सच्ची है,
झरोंखे से झाँकती नज़र की चाँद से, मोहब्बत अच्छी है।
मैं कुरेदता हूँ हर रोज़ ख़ुद से खु़द को,
मेरी ग़ैरों से नहीं खुद से, बगावत अच्छी है।
ग़र्दिश में पनपते हैं बुरे कई ख़यालात मन में,
श़ुक्र है ख़ुद से इश़्क करने की, आदत अच्छी है।
थम गई तलाश़ मेरी आसमाँ तक आकर
हुई जो ज़मीं को पैरों से, शिकायत अच्छी है।
सुना है सिर्फ बहादुरों को मिलते है ज़ख्म पर ज़ख्म
ख़ुदा की मुझपर ये, इना़यत अच्छी है।
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ग़र इश़्क करना कुसू़र है,
तो शादी करना गै़र ज़मानती गुऩाह होना चाहिए।-
उतार कर सीने में खंज़र,
पूँछता है ,कैसे हो?
मुस्कुराकर मैनें भी कह दिया,
सब आपकी मेह़रबानी है।-
आँधियों का रुख़ बदलकर वात-ए-मंज़र भी बदले,
है धरा की चाह भी अब सुर्ख़ सा बंज़र भी बदले।
कब त़लक यूँ एक ही तलवार का साथी बनूँ,
आरज़ू है दिललगी में इश़्क का खंज़र भी बदले।।-
फ़िक्र
चाहत
वफ़ा
सादगी
इन्ही बुरी आदतों ने मेरा तमाशा बनाकर रख दिया।-
लापरवाहियों को, किस्मत का नाम दिया जाता है।
जानते हुए भी चोर को,फ़रमान दिया जाता है।।
राजकोष के राजा का हक़ मारना रिवाज़ बना रखा है,
और मुल्क के चौकीदारों को ,इनाम दिया जाता है।।-
वो इश़्क ही क्या जो अश़्को से तर कर दे,
सीधे राह चलते आदमी को द़र ब द़र कर दे।-
ना जाने और भी कितने सवाल उठते है मन में,
तुम कोई सुलझे हुए इंसान हो या उलझे हुए सवाल हो।-