सुबह का शाम
और शाम का सुबह होना ही काफी है
तेरे मेरे दरमियान
बस एक हर्फ मोहब्त ही काफी है-
साथ तुम्हारे बहना था
वक्त बुरा हो या भला
सब तुम्हारे साथ सहना था
कुछ तो कहना था
कभी संग तुम्हारे
रहना था....
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हां माना दर्द बहुत ही होता है
मोहब्बत में इंसान बहुत कुछ खोता है
ना जागता,ना ही सोता है
कभी हस्ता तो कभी रोता है
मोहब्बत में इंसान ना जाने
क्यों इतना मजबूर होता है....-
कहानी या किस्से नहीं दास्तां हैं ये...
तुम्हें हमारा और हमे तुम्हारा वास्ता है ये..
तेरे मेरे दरमियां जो रास्ता है ये..
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मेरा यू तेरी हर ख्वाहिश पूरी करना
और तेरा नजरंदाज करना
कम ही लगता है-
कोई बात करने से मना करे,
तो कोई बात करने पर लगाए पाबंदिया
इससे उड़े होश जागी राते
और हमे ना आए निंदिया....-
तो हम भी थोड़ा आसानी से सब किया करते
मगर कोई बात नही आज भी तुमहारे हमसे
दूर जाने और रहने की ख्वाहिश ने हमे पहले से भी कही अधिक मजबूत कर दिया हैं...-