chetna vyas  
14 Followers · 6 Following

Music lover
Chemistry teacher
Joined 19 December 2019


Music lover
Chemistry teacher
Joined 19 December 2019
2 JAN 2021 AT 21:17

विचित्र सी घटना है
पता नहीं अब इसका क्या करना है
हालात मेरे बेकाबू है
चिंता ना करना ये सब पे ना लागू है
चारो ओर फिजूल का शोर है
जहा बस कुछ खास
अल्फाजों का जोर है
अब कहना मुझे कुछ यू है
शायद मेरे अल्फाजों से सबको लगे फालतू की बू है
बेवकूफ है ये दुनिया जो लंबा घूंघट ओर पूरे ढके बदन को संस्कारो से तोलती है
ओर जो ये सब कहता है
उनकी खुद की नजरे कभी इधर तो कभी उधर डोलती है
बात हर दफा हर ओर संस्कारो पर रुक जाती है
चुप रहना वाला भी बता सकता है की
वो गूंगा नहीं शेर सी दहाड़ उसे भी आती है
हाथी के पीछे कुत्ते भौंकते ये तो सब कहते है
पर उन कुत्तों को उनकी ओकाद फिर भी ना याद आती है
इसीलिए कह रही हूं चुप रहना नहीं
जी हां हां जी तो सब करते है
आवाज़ में जोर लाना ही अपनी रंगबाजी है
रंगो से याद आया
रंगो में खुशियां है शोर है
पर साला यहां तो हर कोई चोर है
उन रंगो में भी मिलावट का जोर है
तुम जो हो वो बताते नहीं
और जो बताते वो हो नहीं
अरे क्या मिलता है इन सब से
ये भी कैसी सौदेबाजी है

-


26 MAY 2020 AT 17:40


यू मायूस ना कर, जहरीले अल्फाजों से
मेरी बेबाक चाहत, तेरे रूह से है , जिस्म से नहीं
यूं गुज़ारिश ना कर दिखावे से,
मुझे संवरना बस तुझ से है, दिखावे से नहीं
तेरी हर याद, हवा के झोंके संग जिंदगी में हर दफा दस्तक दे जाती है
तेरी ये याद बस अब फरियाद है, हकीकत नहीं

-


26 APR 2020 AT 15:02

मनुष्य विद्या के आलय में कई परीक्षाएं देता है और सफल होता है, उसे लगता जिंदगी संवर गई, लेकिन इंसान के जीवन की हर नई शुरुआत की कड़ी नई परीक्षा से जुड़ी होती है, और ये वो परीक्षाएं होती है जिनमे मनुष्य दूसरे मनुष्य के बीच सामंजस्य ना रखे तो वो निश्चित ही इस परीक्षा में असफल हो जाता है, ये परीक्षा है एक लड़की के नए पारिवारिक जीवन में कदम रखने की, तो कुछ इस तरह से है मेरे शब्द

चुना था राजकुमार, पर नए रिश्तों से अनजान थी
खुश थी,
होगा एक नया घर, पर मै तो वहा मेहमान थी,
नए नए घर में मै, कुछ दिन के सम्मान की हकदार थी,
हर गलती पर वहा, सुनी मैंने एक फटकार थी,
उस वक्त याद आया, मेरी मा बड़ी समझदार थी
हर आंसू पे, बाबा नें सीख सिखलाई थी
ओर यहां,
उन्हीं से मिलने के लिए, हर रोज सभा बिठाई थी
सात फेरों के बन्धन में, पिया जी के मोह में समाई थी,
नए रिश्तों की परीक्षा को , मै आज भी समझ ना पाई थी
जीवन के हर मोड़ पर,हर बार परीक्षा की घड़ी अाई थी
सामंजस्य और त्याग की डोर ने ही , मुझे नई राह दिखलाई थी
रिश्तों की परीक्षा मुझे आज भी समझ ना अाई थी

-


15 APR 2020 AT 0:48

गरीब

वो घर से आश लिए हर रोज निकलता है
घर की चौखट को लांघते ही बार बार फिसलता है
ना रुकता है, ना थकता है
पापी पेट के लिए वो सब कुछ करता है
हा वो गरीब है, बार बार फिसलता है
उसके पसीने की हर बूंद मोती सी चमकती है
उसके मन की आवाजे कुछ इस तरह से गूंजती है
,,,, ले जाना आज एक मुट्ठी चावल है
,,,,गुड़िया का भी आज घूमने का मन है
इसीलिए आज मुझे कमाना खूब सारा धन है

-


15 APR 2020 AT 0:09


जरूरत एक समझदार की है
आरज़ू उसके दीदार की है,
आंखे बैचेन हो उठी है ,
कमब्खत दिल भी धड़कने लगा है,
पर क्या करे ये आलम ही तड़पने का है

-


4 APR 2020 AT 22:56

मन भय से विचलित है,
जिधर देखो उधर हर कोई अचंभित है
एक बीमारी जीघांसा लेकर आयी है,
मेरे हंसते खेलते देश की पकड़ी उसने कलाई है
ना जाने,
मेरे देश पर बरसा कैसा ये कहर है,
जिसने फैलाया चारो ओर जहर है,
लगता है,
भेषज ने इसकी अभी तक दवा ना बनाई है,
ये रीति 1720 से चली आयी है
पहले प्लेग, हैजा, स्पेनिश फ्लू ने मौत फैलाई है
अब ये कोरोना रूपी चेतावनी सामने आयी है
खुश हूं,
इस बीच देश में एकता की ताकत नजर आयी है
पर पापी पेट ने भी सबकी नींद उड़ाई है,
माना
आवश्यक सामान की पूर्ति पर ना कोई रोक लगाई है
पर क्या करे प्रशासन भी,
उन पर सबकी जिम्मेदारी आयी है
हा
मेरे हंसते खेलते देश के सामने एक नई चेतावनी आयी है
जिसने जकड़ रखी मेरे देश की गहराई है

-


1 APR 2020 AT 22:37

सौम्या, एक सहमी सी लड़की
रोज एक डर लिए घर से निकला करती
विश्वास था खुद पे,
पर पता नहीं क्यू बताने से डरती
मंजिलों से बेखबर,
हमेशा लोगो की परवाह करती
पता नहीं कहा से इतनी सोचने की शक्ति लाया करती
अनजान थी,
पगली, हर किसी पे भरोसा कर लिया करती,
कमियों की दुनिया में अपनी कमी को सर्वोपरि रखती
गुस्सैल थी,
अकेले खुद में रहा करती
हर बार हर काम बिगाड़ा करती,
,,,,,,सौम्या एक सहमी सी लड़की,,,,,,,,,

-


30 MAR 2020 AT 11:29

वृद्धाश्रम में पड़ा पड़ा सोच रहा था
अपने नसीब को कोंस रहा था
चार चार बेटो का क्या सुख पाया
अंत समय में वृद्धाश्रम पहुंचाया
मेरी हालत देखकर बिटिया हुई अधीर
सुबक सुबक कर रो पड़ी, देखी गई ना पीर
बेटी के घर कैसे जाता
कैसे रहता , कैसे खाता
बिटिया ने फिर एक बात समझाई
उसकी कमाई खाने में नहीं है बुराई
पर लोगो की खुसर खुसर मन सह ना पाया
मै लौटकर वापस वृद्धाश्रम में आया
जब तक सांसे है जीना है, गम के आंसू खुद ही पीना है
दिल की वेदना बढ़ जाती है, मौत तू क्यू नही आती है
अंतिम इच्छा - बेटो रूपी चारो गिद्ध मेरे शव के करीब ना आए
मेरा दाह संस्कार मेरी बेटी से ही करवाए
गम के मारो। के लिए नई प्रथा चलाए

-


27 MAR 2020 AT 20:35



प्रीत बैर विलोम है,
मेरा मन नाचता जैसे मोर है
हा ये जिंदगी बड़ी अनमोल है
पर कई राज छिपे चारो ओर है
जन्म मरण विलोम है
आज अंधेरा तो कल भोर है
पर कई राक्षस हर ओर है




-


25 MAR 2020 AT 21:52


हां मानव
प्रकृति की देन को अपने ढंग से चलाया है,
तूने आहिस्ता आहिस्ता पूरी दुनिया को जलाया है
आज जो कहर पूरे विश्व पे बरसा है
भूल मत,
इसे बनाने में लगा बड़ा अरसा है
प्रकृति ने हर बार तुम्हें जगाया है,
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में एक रोज कहर बरसाया है,
ना माने तुम उन चोपाया जानवरो की मौत से,
तो बस प्रकृति ने आज इंसानों पे कहर बरसाया है,
हा मानव
आज तक तूने अपना स्वार्थ ही दिखलाया है,
तो बस इसीलिए आज घर में ही तेरे लिए कैदखाना बनवाया है


चेतना व्यास

-


Fetching chetna vyas Quotes