अगर आप अपना वादा नहीं निभा सकते तो कुछ भी वादा न करें
यह आप के लिये जरूरी नहीं भी हो सकता है, लेकिन यह किसी और के लिए सब कुछ हो सकता है-
अब उम्मीदें छोड़ दी है मैंने सबसे जो चल रहा है जैसा चल रहा है सब सही है
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स्कूल का वो बस्ता, मुझे फिर से थमा दे “माँ”,
ये जिंदगी का सफ़र मुझे बहुत मुश्किल लगता हैं..-
"बड़ी चालाक होती है ये ज़िंदगी हमारी.. रोज़ नया कल देकर उम्र छीनती रहती है-
आज कुछ अनजान राहों पर चलती जा रही हूं
जहां भी देखो खुद को अकेला पा रही हूं
जानती हूं सब साथ हैं मेरे
फिर भी ना जाने सबको खुद से दूर पा रही हूं
लग रहा है इन राहों पर
कहीं खो ना जाऊं मै
कोई तो मिलेगा आगे
इस आस में बस चलती जा रही हूं
हालातों को मात देते देते बस थक चुकी हूं
फिर भी अपनों के लिए जीती जा रही हूं
जानती हूं कोई साथ नहीं देगा
इसलिए खुद को खुद के साथ जोड़ दी जा रही हूं
बढ़ते कदम रुकते नहीं चलते चलते थकते नहीं
पहुंच किसी मंजिल पर जल्दी खुद को यह समझा रही हूं
अपनों से दूर और खुद के करीब होती जा रही हूं
माना कि मुश्किल है यह सफर पर पर क्या हुआ
एक दिन सब ठीक होगा इस बात को समझ कर आगे चलती जा रही हूं
अंदर बहुत शोर है दुखों का
फिर भी मुस्कुराते जीती जा रही हूं
इन राहों पर बस अकेले चलती जा रही हूं
बस चलती जा रही हूं-
जब बच्चे ने काग़ज़ खाया माँ ने डाँटा
रो कर बोला माँ काग़ज़ पर खीर बनी थी-