मंजिल नहीं मिली तो क्या, रास्ते मेहरबान थे, सफर में मिला हमसफर, हम उनके कद्रदान थे नहीं हैं वो मंजिल हमारी, हम इससे अंजान थे पा ली उन्होंने अपनी मंजिल, इंतज़ार करते रह गए हम, हम गलतफहमी के शिकार थे।।
कितना खुबसूरत हैं हमारा रिश्ता, तू बन चूका हैं पुराना किस्सा, फिर भी हैं तू जीवन का हिस्सा, जिक्र होता हैं हर बात में जिसका, तुमसे बढ़कर नहीं कोई और रिश्ता, तुमसे शुरू,तुम पर खत्म हो ये प्यारा सा रिश्ता
तुझे पहचाना, तुझे जानना, तुझमें ही कहीं खो जाना, तुझको पाना तेरा हो जाना, तेरा मुझे ठुकरा कर जाना, तेरी यादों को अपना बनाना, इन यादों में दिन बिताना, इन यादों के सहारे कट जायेगी जिदंगी, यहीं बहाना इस दिल से बनाना||
मैंने तुम्हें चाहा, हद से बढ़कर चाहा, पर तुमने आखिरकार मुझे एहसास दिल ही दिया कि, मेरा तुम्हारे लिए कुछ करना था ही क्या, आखिर कम पड़ ही गए हम रिश्तों में।।