के में तेरे इश्क़ में सारी उम्र
बस यूं ही गुजर दु
तो कह तो दे झुटे दिल से ही सही
में इस जमीन को फूलों से सजा दु-
लिख दु जो राज़ फिर वो राज़ न रह पाए
तूने फेसलो में फासलों को भी बड़ा दिया
वरना डोर कमजोर तो नही थी
पहले वक़्त कम था शब्दो के लिए
अब शब्द ही कम हो गए इस बेहतरीन वक़्त के लिए-
के तूने कहा मेरे अंदर झाक पाया हैं
जितना मेने चेहरे पर दिखाया है
उसी को सच मान बैठ
तूने सवालो ओर जवाबो में बस वही दोहराया हैं-
तू कर सबर
वक़्त तेरा भी आएगा
तू थम न जाना कही
दौर तेरा फिर शोर मचाएगा
तेरे थक कर हारने पर
ये समंदर भी डराएगा
न कदम मिलने पर
ये हवा का रुख बदल जाएगा
तू कर सबर
वक़्त तेरा भी आएगा
गिरने पर नीचे तेरे
ये आसमां फिर हाथ बढ़ाएगा
तमस में साथ तेरे
सूरज फिर मुस्काएगा
थाम धरती का आँचल
तू फिर दौर अपना लाएगा
तू कर सबर
वक़्त तेरा भी आएगा-
कुछ अपनो को घर छोड़ आए
एक तेरी खातिर
उन आखो में उम्मीद छोड़ आए
एक तेरी खातिर
मेहनत अपनी है सपने अपने
बस मुस्करा कर जादू बहाकर आए
एक तेरी खातिर-
ये चाँद मेरी खिड़की पर अक्सर आ जाता हैं
अपने संग रोशनी में तेरी याद भर लाता हैं
तू मीले न मिले अक्सर मुझसे
ये चाँद तेरी सूरत अक्सर दिखलाता हैं-
मोहब्बतों में खिड़किया अक्सर साथ निभाती है
ठीक दर्द में वैसे ही बारिश अश्क़ छुपा जाती है-
ये इश्क़ ये मोहब्बत
वो ख्वाब वो एहसास
तुम्हारे लिए नही है
इन सबसे परे तुम सिर्फ तुम हो
तुम्हारे लिए
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कुछ उलझी सी कुछ सुलझी सी फर्ज में
कुछ सपनो के कुछ अपनो कर्ज में
आहिस्ता से सुलझती फिर खो जाती
यू ही परिंदो सी सफर में-
दिन कोई यू भी आए
तू मेरे सामने हो
आखो की शरारतें हो
और मेरे हाथों में हक़ का हतियार आए..-