chetan sharma   (Sikandar)
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Joined 10 September 2019


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Joined 10 September 2019
12 JAN 2022 AT 21:38

Tere chehre ko apni inn aankhon se padhna chahta hun,
Teri bahon mein us jannat ko pana chahta hu.
Teri ore apna har kadam uthakar,
Tere sapno ko saakar kar jana chahta hun.
Apna sb kuch tere naam kar ,
Is zindagi ke safar ko dil-nasheen karna chahta hun.
Apni ankho mein main tera pratibimb dekhta hu,
Apni zameen pr tera sparsh mehsoos karna chahta hun.
Tujhe kya pata tu kya karishma hai kudrat ka,
Tujhko pake main apni zindagi hasiin-o- jamiil karna chahta hun.

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1 JAN 2022 AT 0:38

Chahat ki Hadd se guzar ke mila hai tumhara pyar,
Apne aap ko bhulake mila hai mujhe tu Yaar,
Iss Ishq ko ab tu wafa kar de,
Iss bande ko ab tu mustafa kar de.

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8 MAY 2021 AT 19:39

Epiphany of life:

It strikes you right to the core of your heart when you feel it's all been for nothing. When you feel everything that you did has only pushed you to do something extra. Something to live upto others' expectations. Couldn't we sit back and relax?
Maybe we can fight harder and achieve something for our own soul. The goals we create for our own self, not set by society. Let's break away from the mould of society and become a rebel. That's when progress will start and that's when epiphany will turn into a beautiful life.

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23 AUG 2020 AT 9:36

The secret to happiness is
Achieving a goal with utmost satisfaction and finding a purposeful and challenging journey in life.

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22 AUG 2020 AT 23:25

तेरा ज़िक्र करूँ तो शरीर में सनसनी सी छा जाती है,
तू कितने ज़ुल्म सहती है फिर भी चुप सी रह जाती है,
आखिर किस मिट्टी की बनी है तू,
किस पैमाने से माप सकता हूँ मैं तुझे,
तू तो इस अनन्त ब्रह्मांड जैसी एक पहेली है,
चाहूँ भी तो समझ नहीं सकता हूँ मैं तुझे।

एक अमरपक्षी ही तो है तू,
जो हर बार मौत को हरा देती है।
एक अचंभा ही तो है तू,
जो इस नादान बंदे का ताबीर बन जाती है।

इक़रार करता है यह जहान,
इस महरूम धरा के लिए सावन की पहली बारिश है तू,
इस इंसानियत का रफ़्ता रफ़्ता बढ़ता क़ाफ़िला है तू,
और इस दिल की रूहानी फरियाद समान आज़ाद है तू।
-सिकंदर




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30 JUL 2020 AT 21:35

रुका नहीं हूँ अभी मैं,
थमा नहीं हूँ अभी मैं,
यह तो सिर्फ एक शुरुआत है जनाब़,
तक़दीर को अपनी बदलने निकला हूँ मैं।

देखेगा यह ज़माना हमारी उड़ानों को,
नभ छूते हमारे इच्छा रूपी जहाज़ों को,
दूर नहीं है वो दिन जब सफलता की रोशनी भर देगी हमारे दिल रूपी आसमानों को।

रुका नहीं हूँ अब मैं,
झुका नहीं हूँ अब मैं,
यह तो युद्ध का बिगुल है साहिब,
अपने सपने सच करने निकला हूँ मैं।

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1 MAR 2020 AT 23:16

बताया होता तो अच्छा होता, कम से कम ये आशिक़ तो न मरता तन्हाई में,
पता होता कि आग लगी है उस पार भी रुसवाई में, काश हमें पता होता।
-सिकंदर

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1 MAR 2020 AT 23:00

Shaurya: Ek Kahani
कहते हैं कि शौर्य उस इंसान को प्राप्त होता है जो अपना जीवन देश के लिए न्योश्वर कर देता है,
शायद ये उसे भी प्राप्त होता है जो एक नायक नेता बन दूसरों का पथ प्रदर्शित करता है।
शौर्य कोई पद या पुरुस्कार नहीं बल्कि यह तो अपने आप में एक भावना है,
एक सच्चाई है जो अपने आप एक वीर के मुख पर दिखाई देती है।
यह कोई बाज़ार में बिकने वाला खिलौना नहीं,
यह न ही कोई प्यार में कमाई रुसवाई है,
और यह न ही कोई पहनने वाला गहना है,
बल्कि यह तो एक अनुभव है,
जो बस जिया जा सकता है, चुराया या बनाया नहीं।
यह एक देश भक्ति की आग है,
शहीद की बीवी का सम्मान है,
उसके परिवार के आँसुयों का मोल है,
और उसी परिवार के आपसी प्रेम का एक घोल है।
आख़िर में यह और कुछ नहीं बस एक शान्तिप्रय देश की आन है जो मिटाये नहीं मिटेगी और झुकाये नहीं झुकेगी।
-सिकंदर

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4 JAN 2020 AT 18:41

मैंने जो किया वो तेरे भले के लिए किया,
तू ठहरा दिलबर अनजान,
कहाँ इस मोहब्बत की रुस्वाइयों को समझ पाएगा,
तू तो एक मौके का दस्तूर है जो हमें हमेशा गलत पाएगा।

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4 JAN 2020 AT 18:33

इतना कठोर न बन ए मुसाफिर,
इश्क़ की गलियां है बड़ी कठिन,
तू जितना इससे दूर भागेगा ये उतना पास आएँगी,
यकीन न हो तो हमसे पूछ लो,
बेवफ़ाई के मंदिर से भागे थे, और महबूब के काबे में जा पहुंचे।

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