आपकी मोहब्बत और बात करने का था आपके buggu में जुनून सवार '
सिर्फ आपसे बात करने को 27august ko लेके आया punch कार..!
वो वादे, वो इरादे ,और कसमे निभाने ,आपके साथ अपना आशियाना बनाने,
वो 28 december जब गया भोपाल, तो हमारे लिए खरीद लिया था घर संसार..!
याद है आपको जब आपने मुझे बुग्गु पहली बार बुलाया था"
और मैने भी आपको एक प्यारा नाम देखे मेरा baccha बुलाया था'
ये पहला साल हमारा बिता, यादें रही हैं हजारो हमारी हुकुम,
मगर आपके हाथो से खाना ,खाना और आपका प्यार से देखना वो था मेरा सुकून...!
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Wo_ पुराना शहर
Wo _किस्से पुराने
हाथो _में है चाय
और _बातों के चटकारे
ना _बीते कल का ग़म,
ना _आने वाले कल की चिंता
Wo_ हसीं ठिठोलीया "
और_ यारों का संगम!-
कैसे, कहाँ और कितना रहा हूं में,
इ न दिनों का है मुझे हिसाब नहीं'
कुछ- रातों का यु ही जागा हू में "
कहीं तेरी मोहब्बत का, में शिकार तो नहीं!
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ना दिन में सुकून
ना चैन है रात में,
दिल जो था सक्त
पिघल गया बरसात में,
एक तू, बस तू और सिर्फ तू
से आगे ना बड़ पा रहा,
क्योंकि शायर तो फंसा है"
तेरे हुस्न के जाल में.!-
दिल ये मेरा_ बेकरार है
उस शख्स के इंतजार में,
जिसके नैना भर_ही काफी हो "
कईयों सो _कत्ले- आम में.।-
दुःख- पीड़ा तो होगी,
तुम्हें कोनों, haapy men's day नहीं कहेगा आज!-
श्री राम के भरत..... 🙂🙂
विश्व भरण- पोषण कर जोई"
ताकर नाम भरत जस _होई।-
पूर्णिमा का चाँद...... 🙂🙂
वो चाँद आज भरपूर निकलेगा'
खिल खिला के निकलेगा"
बिखेर कर के अपनी चाँदनी,
हसीन सी रात बनकर निकलेगा!
चंचल चकोर सा निकलेगा'
गीत गुन- गुनाकर निकलेगा"
समेट कर के खूबसूरती अपनी,
किसी स्वर्ग अप्सरा सा निकलेगा!
मधुर मुस्कान लेके निकलेगा'
मनमोहक दीदार लेके निकलेगा"
डूब कर के शृंगार के रस में, वो :
महबूब के इंतजार में निकलेगा!-
अर्ज़ किया है___🙂
मेें--बनु कवि तुम्हारा 😀
तुम मेरी कविता हो जाओ"
में किसी'शो का जेठालाल,
तुम मेरी बबीता हो जाओ।-