Chetan Gore   (Chetan)
154 Followers · 88 Following

Joined 23 May 2020


Joined 23 May 2020
23 JAN 2024 AT 19:28

इतनी भीड़ क्यों हैं आगे,
कुछ हुआ हैं क्या?
इतना मुस्कुरा रहें हों,
कोई संदेसा हैं क्या?
ये क्या चमक रहां हैं
आसमां में ग़ालिब?
खुदा ने भेजा अपना बंदा है क्या?

अच्छा...
तो ये चल रहा हैं...

बंदे संभलकर,

अब होगा इश्क़ तुझे...
होगा दर्द का आगाज़ तुझे...
तड़पेगी तेरी रूह इस कदर...
तभी तो आयेगा मज़ा उसे।।

वाह रे खुदा तेरी खुदाई!
क्या यहीं हैं जान की रिहाई?
क्या चाहा था तुझसे?
क्या मिला हैं तुझसे?
दिल को जोड़ने वाला मांगा था,
दिल से खेलने वाला मिला उसे।।

-


19 DEC 2022 AT 19:18

वो दिन याद है मुझे, जून की शुरुवात थी;
पाठशाला में दाख़िल, हुई मेरी जान थी।

आमना-सामना, पहले भी हुआ था हमारा;
मगर उनकी आँखो ने, निकाली हमारी जान थी।।

कालें घनें बालों से होकर, चेहरा आया एक सामने हमारें;
चेहरें से टपकती मासूमियत, हाय!!! वो भी क्या बात थी।

दिल हारा हमने, जान भी हारी थी उस दिन यारों;
अब दिल की धड़कन भी, बस उनका नाम पुकारती थी।।

मेहरबान था खुदा हम पर, शायद उस दिन ही;
मुलाकात हमारी उसने, जो हमसे ही कराई थी।।।

-


6 SEP 2022 AT 11:50

आज फिर तुमसे मोहब्बत हो गई;
फिर एक दफा खुद से शिकायत हो गई।

मैं टूट कर भी चाहने लगा हूं तुझकों;
तुम आँखोसे इशारे हजार कर गई।।

मेरा नसीब भी बदनसीब लगने लगा है मुझे;
तुझे दूर से ही देख कर, दिल को तसल्ली हो गई।

चलो, जाने दो मेरी बातों को तुम,
अनसुना ही कर दो;
हमे तो ऐसे जीने की अब आदत हो गई।।

-


14 AUG 2022 AT 11:47

दीवानी तेरी कहते कहते, मुझको दीवाना कर गई;
जाते जाते आंखों में हमारे, नमी वो दे गई।

कुसुर-ए-इज़हार-ए-इश्क़ तो हमने ही किया,
अब उनसे क्या शिकवा, जो मुस्कुराते वो चली गई।।

रहते है अब तन्हा अकेले, हम भी इस गुरुर में जनाब;
दो पल का झूठा ही सही, जीने की वजह वो दे गई।

खुश रखना ऐ खुदा उसको, जिसने हमें ये सजा दी;
क्या हुआ वो साथ नहीं है मेरे, मेरा दिल तबाह वो कर गई।।

चलते हैं, निकलते हैं, अब राहों पर हम भी नया चेहरा लिए;
झूठे चेहरे का हमे मुखवटा तोहफे में वो दे गई ।।

-


20 APR 2022 AT 23:17

समंदर से गहरा हैं इश्क़ मेरा, दुनियां से अलग हैं इश्क़ तेरा;
बुखार इश्क़ का चढ़ा हैं मुझ पर, अब बस दिल को इन्तजार हैं तेरा।।

-


17 APR 2022 AT 18:23

अगर हो हरपल, खयालों में किसी की;
तो कर दो इज़हार-ए-इश्क, अब झिझक कैसी?

तोड़ दो बंदिशें, जमाने की सारी;
दिल लगाया हैं, तो दिल पर कफस कैसी?

झुंकी निगाहों से खोल दो सारे राज;
इन मुस्कुराहटों पर, इतनी पाबंदी कैसी?

बढ़कर तुम से जमाने में, कोई और न हो उसका;
अगर हो कोई, तो खुद से इतनी नाराज़गी कैसी?

इश्क़ का है खेल सारा, ये शिकायतें कैसी?
हर जीत तो नसीब हैं, तो गर्दिश-ए-गुमनामी कैसी?

-


12 APR 2022 AT 17:08

चांद भी तुम, आसमां भी तुम;
चैन भी तुम मेरा, सुकून भी तुम।

आंखों का 'मीरे, सितारा भी तुम;
हर खयाल का मेरे, आकार भी तुम।।

दर्द भी तुम, दवा भी तुम;
तुमसे है जिंदगी मेरी, तुझमें ही गुम।

सांस भी तुम, धड़कन भी तुम;
हर गीतों की मेरे, सरगम भी तुम।।

तुम जिंदगी मेरी, बंदगी हो तुम;
तुम से कहानी मेरी, मुझमें ही तुम।।।

-


11 APR 2022 AT 19:05

अंधेरी रातों से दिल ऊब गया है,
थोड़ा उजाला लेकर आओ;
कश्ती में सवार मुसाफ़िर हूं मैं,
बनकर किनारा चले आओ।
मांगू जो माला मैं फूलों की,
काटों का हार लेकर आओ;
रेगिस्तान की जमीन हूं मैं,
बनकर बारिश मुझ पर बरस जाओ।।
ढूंढ लो कोई बहाना मिलन का,
किसी बहाने आओ;
आओ मेरे करीब इतना तुम,
मुझ में ही कहीं खो जाओ।
सज़ा के श्रृंगार खड़ी हूं दरवाज़े पर,
बनकर त्यौहार आओ;
चले आओ, बे-सबर है दिल,
आकर मुझ में तुम समा जाओ।।

-


9 APR 2022 AT 20:13

दिल जानता हैं मेरी मंजिल का पता
तेरी यादों में कैसे जीयु तू ही बता
माना आसान नहीं है तुझे पाना
फिर भी
तरस रही है आंखे तुझे देखने इक दफा

-


30 MAR 2022 AT 12:32

जमाने से बिछड़ा, तो फिकर हमारी जमाने को न हुई;
खुद से बिछड़ा तो जाना, ये दुरियां फिर भी कम न हुई।

तू ही तो था मेरा, जो तुझ से मोहब्बत बे-इंतेहा की;
अब जो तू ही नहीं तो जाना, ये कैसी गलती हमने की।।

माना गलती हो गई हमसे, मगर गलत हम इतने भी न थे;
जो सज़ा मिली है हमें, उस के हकदार हम बिल्कुल न थे।

अकेला हूं आज, कोई साथ नहीं, सिवाय शब्दों के मेरे;
लिख रहा हु, इसलिए, ये अल्फाज़ मैं यादों में तेरे।।

जिन्दा हूं मैं, फिर भी जिंदा मैं नहीं;
तेरे सिवा इस ज़िन्दगी का, कोई अर्श भी नहीं।

जियूंगा इसी हालात को अपनाकर मैं, सारी उम्र;
अब ज़िन्दगी से मुझे, कोई शिकायत भी नहीं।।

-


Fetching Chetan Gore Quotes