Chetan Datwani   (Chetan_nu)
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Joined 19 April 2021


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8 JUL 2022 AT 14:15

मुझे इल्म ना था इस बात का
वो गैरो से मिलके आयेगा
"चेतन" इतना जिस्म का भूखा है
की वफ़ा भी बेच के खा जायेगा

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4 JUL 2022 AT 0:26

हटाकर आईने को सामने मुझको बैठाती है
मेरी जान मांग अपनी हाथ से मेरे लिए सजाती है
नहीं आते पहनने पाँव में बिछुए सुनो ना जी
जरा पहनाओ ना कहकर के गर्दन झुकाती है
मुझे आता नहीं साड़ी पहनना डाँटना ना जी
कभी उल्टा कभी सीधा पल्लू को बनाती है
"चेतन" मुझे डर लग रहा है आपसे दूर हट जाओ
मेरे नज़दीक जाने से थोड़ा सा हिचकिचाती है
कहती है ख़्वाबों में ना सोचा था मेरा शायर पति होगा
मुझी से शायरी सुनती है फिर मुझी को सुनाती वो

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29 JUN 2022 AT 1:02

मुझपे इतना क़हर न तुम ढाया करो
मिला करो ख़्वाबों में न सताया करो

दिल में छुपी या लबों पे रुकी हुई है
जो है अनकही वो बात बताया करो

अजी सुनते हो, अजी सुनो न कहके
तुम शहद जैसी आवाज़ सुनाया करो

सुबह -सुबह हसीन मुस्कान दिख जाए
शगुन बनके मुझको नज़र आया करो
शाम को घर में क़दम रखूँ मैं जैसे ही
मुस्कुराते हुए सामने आ जाया करो
जुल्फें उलझी हुई और पेचों वाली हैं
मैं सुलझाऊ और तुम उलझाया करो

'चेतन' कहके मोहब्बत से पुकारो
तुम जज़्बात छुपाके न तड़पाया करो

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29 JUN 2022 AT 1:01

मैं झुक गया तो
वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था,
वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे...!!!

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29 JUN 2022 AT 0:59

कुछ बेतुके झगड़े....
कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने
जहाँ गलती नही भी थी मेरी..
फिर भी हाथ जोड़ दिए मैंने....

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22 JUN 2022 AT 1:28

मेरे हाथों ने जब उसकी कलाई को छुआ
क्या कहूं उस रोज शहर में क्या क्या न हुआ

धड़कनों का शोर था कुछ इस तरह
बाप आया उसका पर पता कुछ न चला

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6 JUN 2022 AT 0:50

चलो फिर से इशारो में कुछ बात हो जाए,
दो पल की मुकम्मल सी एक मुलाकात हो जाए ,
मैं सिर्फ रह जाऊँ तुम्हारी आँखो में डूबकर,
और तुम्हें मेरी धडकनों से मोहब्बत हो जाए....!

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6 JUN 2022 AT 0:44

बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
"चेतन" को जब तेरे शहर की हवा लगती है;
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ;
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

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20 MAY 2022 AT 1:25

लिखने बैठा हु आज फिर एक दफा,
ऐसे ही फिर हमेशा की तरह वक्त कटा,
ना लफ्ज आ रहे ना तुम आ रही हो मेरे ख्याल मैं,
अब लगता है तेरे साथ - साथ इस कलम को भी मुझसे मलाल है।

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14 MAY 2022 AT 18:35

आज लिख रहा हूँ काफ़ी अरसे बाद,
तेरी मुलाक़ात का "चेतन" कर रहा था इंतज़ार,

इस साल सोचा होगा आखिरी साल,
इंतजार करते हुए आज मुझे 5 साल।

दुख है की तूने मुझे याद न किया,
सुख है की मैंने तेरे सिवा किसी से प्यार ना किया,
कभी कभी सोचू कर दु अब तुझे दिल से दूर,
पर मेरे दिल ने कभी इस बात पर मुझपे ऐतबार ना किया।

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