ये हमारा सफर पूरा हो जायेगा
या फिर बदल जायेंगे रिश्तों के मायने
या फिर सफर ही अधूरा रह जायेगा...-
*पता हैं मुझे की कुछ फ़िल्मी टाइप सा लिखता हूं,,
*कुछ गलत लिख दिया तो कमे... read more
हर बार अल्फाजों से बात नही होती जनाब
कोई अपना लगने वाला अजनबी मिले तो,
निगाहे दुनियां से छुपाके हाल ए दिल बयां कर देती है...-
आज आभाळ पूर्ण मोकळं होत,
कुणाच्या तरी मनासारखं
ना जगाची पर्वा, ना कुणाच्या आठवणींच वादळ.
आज कस सगळं शांत होत,
कोणाच्या तरी चेहऱ्यावर जीवनाच्या बंधनातून मुक्त होण्याचं आनंद होता.
आज चंद्र नव्हताच कारण,
चंद्रा कडे बघून जगणारा आज कोणी तरी नव्हता.
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किसी का ख़्वाब
किसी का अधूरा सपना,
किसी की मुस्कुराहट,
या किसी के साथ जिंदगी बिताने का इंतजार
या सिर्फ जिये जाने की रस्म
क्या ज़रूरी था?
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में लिखू तुझे मेरे हमदर्द जैसा
पर तुझपे इसका कोई फर्क नही
कसुरदार भी में अपने आप को कहुँ
पर तेरा इसमे कोई कसूर नही,,,
मेरे जैसी चाहत तो तुझे भी होगी किसी और से
तो वफादार मैं भी नही और बेवफा तू भी नही,,,-
मैं तो फकीर था तुम्हारे मोहोब्बत का
अब मेरे लिये उस रकीब के पास जाकर रोना मत
सुनो...
में फिर काभी ना लौटूंगा...
मेरे जिस्म की राख हाथों में लिए रोना मत।
सुना हैं...
छोड़ जाने वाले लोग याद बोहोत आते हैं
पर में कभी याद आउ तो अकेले में जाकर रोना मत
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फिर भी इस दिल की बैचेनी लिख नही पाता हूँ
तुम्हारे लिए जज़्बात मेरे
तुम्हारे सामने बयां नही कर पाता हूँ
हा..
हो जाता हूं खामोश थोड़ी देर तुम्हे देखके
फिर तुम मेरी खामोशी पढ़ ना लो इसलिए मुस्कुराने लगता हूँ..
उस लम्हे मैं मेरे जैसा नही रहता तुम्हारे अक्स में कही खोने लगता हूँ,,,,
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भेटिचे क्षण आठवल्यावर
डोळ्यात का अश्रु येतात माझ्या
की मला बघून मंद हासने ते तुझे
जणू कही माझ्या चेहऱ्यावर
खुशीची झुलुक देऊन जाते
तू नाही आहेस आता याची जाणीव करुण
आठवणींच्या डोहात मला बुडवून जाते
ओळखीचे तर आपन नव्हतोच ना कधी
तरी पन विरहाचे क्षण लिहित असताना
यातना का उतरतात लेखनीत माझ्या
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सब कहते हैं इश्क़ ऐसा है वैसा हैं
इक बार कर के तो देखो
गर सही इंसान ससे हो जाये तो
ये जहर को भी पी कर जीने जैसा हैं,,,-